कनाडा में रेल संकट गहराया | क्या है कोस्टल गैस पाइपलाइन विवाद
कनाडा में गैसलिंक पाइपलाइन परियोजना के विरोध में किये जा रहे विरोध प्रदर्शन एक गंभीर रूप लेते जा रहे हैं. प्रद्रशनकारियों ने देश के विभिन्न हिस्सों में रेल यातायात बाधित कर दिया है जिस वजह से आम जनजीवन और व्यपार में भारी असर पड़ रहा है. कई कंपनिया भी अब खुल कर अपनी चिंता ज़ाहिर करने लगी हैं. रेल यातायात के बाधित होने से सप्लाई चेन पर बड़ा असर पड़ा है और ऐसा माना जा रहा है इसका असर रोज़मर्रा की ज़रूरतों पर भी पड़ेगा.

Source PixaBay
क्या है पूरा विवाद
कोस्टल गैसलिंक पाइपलाइन, कनाडा के पश्चिमी प्रान्त ब्रिटिश कोलंबिया में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने के लिए बनाई जा रही है. लगभग 670 किलोमीटर लम्बी यह पाइपलाइन, ब्रिटिश कोल्मबिया के उत्तर पूर्वी इलाके से तटीय इलाकों में प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करेगी. लगभग 6 बिलियन डालर की लागत से बनने वाली यह पाइपलाइन सन 2012 से निर्माणाधीन है. कनाडा की ही एक जानी मानी कंपनी टी सी एनर्जी को इस पाइपलाइन का ठेका दिया गया है.
विवाद की जड़ है पाइपलाइन का मार्ग. पाइपलाइन को कई ऐसे इलाकों से होकर गुज़ारना है जो कनाडा के फर्स्ट नेशन इलाके कहे जाते हैं. सरल शब्दों में यह वो इलाके हैं जिनमे कनाडा के आदिवासी समूहों का सदियों से निवास रहा है. कनाडा में इन आदिवासी समूहों, जिन्हे फर्स्ट नेशन भी कहा जाता है, को विशेष संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं. फर्स्ट नेशन अधिकांशतः प्राकृतिक संसाधनों के साथ रहना पसंद करते हैं. कनाडा में कई फर्स्ट नेशन समूह या कबीले हैं. इन्ही में से एक है – वेटसुवेटएन कबीला । पाइपलाइन के मार्ग का लगभग 28 फ़ीसदी हिस्सा इन्ही के इलाकों से हो कर जाता है.
कोस्टल गैसलिंक का कहना है कि पाइपलाइन का कार्य शुरू करने से पहले उन्होंने लगभग बीस फर्स्ट नेशन काउंसिल्स से अनुमति ले ली थी. फर्स्ट नेशन काउन्सिल, फर्स्ट नेशन लोगों द्वारा चुनी हुई संवैधानिक सभाएं हैं जिनका अधिकार उन्हें कनाडा के संविधान में दिया गया है. कोस्टल गैसलिंक का यह भी कहना है कि जिन बीस काउंसिल्स से उन्होंने अनुमति ली थी उनमे कुछ वेटसुवेटएन कबीले की काउंसिल्स भी शामिल थी. हालाँकि वेटसुवेटएन कबीले के लोगों का कहना है कि काउंसिल्स में चुने गए लोग कबीले के लोगों के बारे में इस तरह का फैसला नहीं ले सकते. कबीले के प्रमुख ने भी कबीले के लोगों का समर्थन किया है. हालाँकि फर्स्ट नेशन के अन्य कबीलों की राय इस मुद्दे पर अलग अलग है.
इस पाइपलाइन का फर्स्ट नेशन के अलावा कई पर्यावरण कार्यकर्त्ता , NGO और छात्र संगठन भी विरोध कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि इस पाइपलाइन से इस क्षेत्र में पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँच सकता है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो भी इस मुद्दे पर काफी आलोचना झेल चुके हैं. पाइपलाइन के विरोध में कनाडा में काफी समय से जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं.
ताज़ा विवाद की शुरुआत तब हुई जब इस पाइपलाइन के निमार्ण का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस ने बल का प्रयोग किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया. लगभग 21 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किये गए. उप्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें बंदूके भी दिखायीं.
इसके बाद देश भर में लोग प्ररदर्शनकारियों के समर्थन में आ गए और जगह जगह लोगों ने विरोध जताने के लिए रेल यातायात को बाधित करना शुरू कर दिया. बाद में कनाडा की प्रमुख रेल सर्विस “वाया रेल” ने इस विरोध को देखते हुए , स्यवं ही अपनी सेवाओं को स्थगित कर दिया.