जर्मनी में पब में गोलीबारी, नौ लोगों की मौत | कहीं नस्लवाद तो वजह नहीं ?

जर्मनी के हानाऊ शहर में हुई गोलीबारी ने एक बार फिर नस्लवाद पर बहस छेड़ दी है. जानकारी के मुताबिक़ एक बंदूक़धारी व्यक्ति ने दो हुक्का बारों में गोलीबारी कर नौ लोगों की हत्या कर दी.बाद में हमलावर अपने घर में मृत पाया गया. उसके साथ उसकी माँ का भी शव मिला है.

खबरों के अनुसार पहली गोलीबारी में तीन लोग मारे गए, जबकि दूसरी में पांच लोगों की मौत हो गई. जबकि एक व्यक्ति की मौत बाद में हुई. हनाऊ फ्रैंकफर्ट से लगभग 25 किमी की दूरी पर है. यहां की आबादी 1,00,000 से अधिक है.

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हमलावर ने अपनी मौत से पहले एक वीडियो संदेश जारी क़िया था. हमलवार जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी विचारधारा का समर्थक बताया जा रहा है. शुरुआती जाँच के अनुसार इस हमले के पीछे नस्लवाद और घृणा एक महत्वपूर्ण कारण हो सकते हैं.

पिछले कुछ सालों से जर्मनी में धुर दक्षिणपंथी विचारधारा से सम्बंधित घटनाओं में तेज़ी देखने को मिली है. हालाँकि AfD ( ऑल्टर्नटिव फ़ोर जर्मनी) जो कि जर्मनी की एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी और ज़र्मनी की संसद में मुख्य विपक्षी दल है, ने इस घटना से अपने को अलग किया है और इस घटना की आलोचना भी की है.

कौन है AfD

AfD की स्थापना सन २०१३ में की गई. अपनी स्थापना के बाद से ही यह पार्टी अपने नस्लीय बयानो और कार्यों के लिए विवाद में रही है.AfD पर मुस्लिम विरोधी, नस्लवादी, यहूदी विरोधी और नाज़ीवाद के प्रति सहानुभूति रखने के आरोप लगते रहे हैं.


AfD की स्थापना के पीछे कई कारण रहे हैं. जिनमे एक प्रमुख कारण रहा है – यूरोज़ोन संकट. साल 2009 से ही यूरोपियन यूनियन के कई देश जैसे ग्रीस, साईप्रस, पुर्तगाल क़र्ज़ के संकट से जूझ रहे हैं. मुश्किल बात यह है कि कई बार मदद के बावजूद भी क़र्ज़ का संकट बना हुआ है. इसके कारण यूरोपियन देशों के बीच वित्तीय और व्यापारिक असन्तुलन बढ़ रहा है. यूरोप के अन्य देश क़र्ज़ में डूबे देशों की मदद कर रहे हैं जिससे कई बार वे खुद भी संकट में पड़ रहे हैं. साल 2012 में जर्मनी में राजनीतिज्ञों, अर्थशात्रियों और बुद्धिजीवियों का एक धड़ा यूरो संकट की वजह से अपनी सरकार के खिलाफ हो गया और उन्होंने सरकार की यूरो संकट से लड़ने के लिए बनायीं गयी नीतियों की आलोचना शुरू कर दी. मौटे तौर पर ये लोग जर्मन सरकार की उन नीतियों के खिलाफ थे जिनमे सरकार क़र्ज़ में डूबे देशों की वित्तीय मदद कर रही थी. बाद में इन्ही में से कुछ लोगों ने एक राजनैतिक दल AfD की स्थापना कर दी.

शुरुआत से ही AfD दक्षिणपंथी जर्मन राष्ट्रवाद की वकालत करती आयी है. AfD ने जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल की अर्थनीतियों के अलावा उनकी सीरिया के मुस्लिम शरणार्थियों को जर्मनी में बसाने के नीति की भी खुल कर आलोचना की थी.