तुर्की का कश्मीर पर बयान | क्यों दूर हो रहा है तुर्की भारत से
तुर्की और भारत के बीच दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं. इसकी एक वजह तुर्की का हाल के दिनों में पाकिस्तान के क़रीब आना और कश्मीर के मुद्दे पर खुल कर पाकिस्तान का साथ देना है. पर ताज़ा शोर तुर्की के राष्ट्रपति जब तैयब अर्दोआन की फ़रवरी में की गई पाकिस्तान यात्रा की वजह से हो रहा है. इस यात्रा में अर्दोआन ने कश्मीर को ले कर कुछ ऐसा कह दिया जिससे भारत बिलकुल भी खुश नहीं है.

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क्या हुआ पाकिस्तान यात्रा में
फ़रवरी 2020 में अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान अर्दोआन ने पाकिस्तानी संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान के लिए जितना अहम है उतना ही तुर्की के लिए भी है. अर्दोआन के इस बयान से पाकिस्तानी सरकार बहुत उत्साहित है वहीं भारत ने तुर्की को इस पर आड़े हाथों लिया. भारत सरकार ने तुर्की से भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के लिया कहा है. इस यात्रा में कई मुद्दों पर चर्चा हुई.
अर्दोआन ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रिश्ते बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया. उन्होंने कहा की पर्यटन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में दोनो देशों को एक दूसरे से समन्वय बढ़ाना चाहिए. लेकिन अर्दोआन का कश्मीर पर दिया गया बयान इस यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण बना गया.
क्या चाहता है तुर्की
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन कई मौक़ों पर पाकिस्तान का कश्मीर मुद्दे पर साथ दिया है. आख़िर तुर्की को पाकिस्तान में क्या रुचि है ? इसका जवाब जानने के लिए हमें तुर्की की वर्तमान राजनैतिक स्थिति को समझना होगा. ऐतिहासिक रूप से देखें तो पाकिस्तान और तुर्की के बीच संबंध भारत के तुलना में काफ़ी अच्छे रहे हैं. दोनों देश इस्लामिक दुनिया के सुन्नी प्रभुत्व वाले हैं. और व्यक्तिगत रूप से अर्दोआन के पाकिस्तान से हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं. जब साल 2017 में अर्दोआन ने तुर्की में सैनिक तख्ता पलट को विफल किया था तो पाकिस्तान ने उन का खुल कर साथ दिया था.
अपने ख़िलाफ़ हुए तख्ता पलट को विफल करने के बाद से ही अर्दोआन एक मज़बूत नेता के रूप में उभरे हैं. तुर्की अब अपने आप को एक मुस्लिम शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता है. तुर्की की महत्वकांक्षा विश्व पटल पर एक महाशक्ति के रूप में स्वयं को स्थापित करने की है. अर्दोआन चाहते हैं कि अन्य मुस्लिम देश तुर्की का समर्थन करें और उसका अनुसरण करें. इसके लिए वे मुस्लिम देशों के मुद्दों पर खुल कर अपनी राय रखते हैं.
लेकिन सवाल यह है कि पाकिस्तान से इतनी दोस्ती क्यूँ ? अर्दोआन कुछ साल पहले तक भारत के भी करीबी थे.लेकिन अब भारत के ख़िलाफ़ भी बोलने लगे हैं.
इसकी एक वजह है परमाणु हथियार. तुर्की परमाणु हथियार विकसित करना चाहता है और उसने भारत से इसमें सहयोग करने की गुज़ारिश भी की थी. विशेषज्ञों का माननना है कि भारत ने तुर्की के परमाणु कार्यक्रम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और किसी भी तरह की परमाणु तकनीक देने के लिए हामी नहीं भरी. अर्दोआन इसी वजह से भारत से ख़फ़ा हैं और पाकिस्तान के साथ नज़दीकियाँ बढ़ाने लगे हैं. अब अर्दोआन पाकिस्तान को ख़ुश करके पाकिस्तान का सहयोग अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए चाहते हैं. तुर्की को शायद एसा लगता है कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करके और उसके साथ व्यापार बढ़ा कर तुर्की अपने परमाणु कार्यक्रम के लिए पाकिस्तान से तकनीक ले सकता है.
पाकिस्तान के लिए तुर्की से दोस्ती आसान नहीं है. तुर्की के चीन और साऊदी अरब के साथ अच्छे सम्बन्ध नहीं है और पाकिस्तान इन दोनो ही मुल्कों का ख़ास दोस्त है. पाकिस्तान के लिए यह दोस्ती एक कूटनीतिक चुनौती बन सकती है.