दिल्ली में नागरिकता क़ानून पर हिंसा, मृतकों की संख्या बीस के पार
दिल्ली में नागरिकता संशोधन बिल के समर्थकों और विरोधियों के बीच का विरोध अब हिंसक रूप लेता जा रहा है. 24 फ़रवरी को दोनो गुटों के बीच हुई झड़प में अब तक 20 लोगों की मौत हो गयी है. मृतकों में एक पुलिस कर्मी भी शामिल है. पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है. ज़्यादातर हिंसा कि खबरें उत्तर पूर्वी दिल्ली से आ रही हैं. उत्तर पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का समर्थन करने वाले और विरोध करने वाले समूहों के बीच संघर्ष ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया था.

पुलिस के पास हिंसा से निबटने के लिए पर्याप्त बल न होने के आरोप भी लग रहे हैं. यह हिंसा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प भारत की यात्रा में आए हुए हैं.
क्या हुआ दिल्ली में
मीडिया में आइ खबरों के अनुसार मामला तब बिगड़ा जब दिल्ली के जाफ़राबाद इलाक़े के मेट्रो स्टेशन में कुछ महिलाएँ नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुई. पुलिस ने महिलाओं से ऐसा ना करने को कहा लेकिन वे नहीं मानीं. धीरे धीरे और भी लोग वहां जमा होने लगे और रात होने तक वहां अर्द्धसैनिक बल तैनात कर दिए गए.
रविवार सुबह वहां और भी लोग आ गए, जिसके बाद बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने ट्वीट करने शुरू किए और नागरिकता कानून के समर्थन में लोगों को जाफराबाद में जमा होने के लिए कहा. मिश्रा जब उस इलाके में अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए, उसके बाद घटनाक्रम ने हिंसक मोड़ ले लिया. और दोनो गुटों से पत्थरबाज़ी शुरू हो गयी.
दिल्ली है कोर्ट ने इस मुद्दे पर दिल्ली पुलिस को आड़े हाथों लिया है. दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर से कहा कि अदालत बहुत नाराज़ है. कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने वाले बी जे पी के नेताओं पर FIR दर्ज करने के लिए कहा है. ये आदेश विडीओ क्लिप्स देखने के बाद दिए गए हैं. चार बीजेपी नेताओं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा, विधायक अभय वर्मा और पूर्व विधायक कपिल मिश्रा के वीडियो अदालत में चलवाए गए.
कोर्ट ने दो दिन के भीतर पुलिस को अपनी प्रगति बताने के आदेश दिए हैं.
नागरिकता संशोधन बिल के विरोध और समर्थनको लेकर सम्पूर्ण भारत में प्रदर्शन जारी है. सरकार के नागरिकता कानून को लागू करने के फैसले पर अडिग होनेकी वजह से स्थिति गम्भीर बनी हुई है.