अब येस बैंक फँसा मुसीबत में, क्यूँ भारतीय बैंक जा रहे हैं घाटे में

भारत में बैंक अनियमितताओं की खबरों में एक नया नाम जुड़ गया है – येस बैंक. शीर्ष बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के येस बैंक के निदेशक मंडल को भंग करते हुए उस पर प्रशासक नियुक्त कर दिया है. रिज़र्व बैंक ने अगले आदेश तक बैंक के ग्राहकों के लिए निकासी की सीमा 50,000 रुपये तय की है. येस बैंक किसी भी तरह का नया ऋण वितरण या निवेश भी नहीं कर सकेगा.

रिज़र्व बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक के एक वरिष्ठ पूर्व अधिकारी को येस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है.

येस बैंक काफ़ी समय से क़र्ज़ के संकट से गुज़र रहा है. इस बैंक की स्थापना 2004 में राणा कपूर और अशोक कपूर ने मुंबई में की थी. अशोक कपूर की 2008 के मुंबई हमलों में मौत हो गयी थी. आगे के सालों में राणा कपूर ने अपनी बेहतर कारोबारी क्षमता के चलते येस बैंक को नई उचाइयों तक पहुँचाया. यस बैंक की देशभर में 1100 से अधिक शाखाएं हैं और इनमें 21 हज़ार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं.

अपने शुरुआती दौर में येस बैंक निवेशकों की पसंद बन गया था. लेकिन पिछले कुछ सालों में बैंक की हालत बिगड़ने लगी. 2019 में राणा कपूर को बैंक के MD और CEO पद से हटा दिया गया.

लेकिन बैंक से गलती हुई कहाँ ? इसका मुख्य कारण है एन पी ए.एसा माना जाता है कि लोन देने में वित्तीय कुप्रबंधन येस बैंक के लिए मुसीबत बन गया.

क्या है एन पी ए

जब बैंकों द्वारा दिया गया क़र्ज़ डूब गया हो और उसके वापस आने की कोई उम्मीद न हो तो इस तरह के क़र्ज़ को नॉन पर्फ़ॉर्मिंग ऐसेट या NPA कहा जाता है. बैंकों के लोन को तब एनपीए में शामिल कर लिया जाता है, जब तय तिथि से 90 दिनों के अंदर उस पर बकाया ब्याज तथा मूलधन की किस्त नहीं चुकाई जाती. भारत के बैंक इन दिनो इस समस्या से बुरी तरह जूझ रहे हैं. समस्या तब शुरू हुई जब बैंकों ने अपने बड़े कॉर्पोरेट ग्राहकों को क़र्ज़ देने से पहले उनके लोन वापस करने की क्षमता की पूरी तफ्तीश नहीं की. परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था एनपीए के जाल में फंसने लगी.बड़े कोरपोरेट कारोबारियों ने बैंकों से हज़ारों करोड़ के लोन ले लिए और बाद में इसे चुकाने में असमर्थता ज़ाहिर कर दी. उदाहरण के लिए स्टेट बैंक ने विजय माल्या की किंगफ़िशर को हज़ारों करोड़ का ऋण दिया लेकिन वो अब तक वसूल नहीं कर पाए हैं.

सबसे ज़्यादा एनपीए सरकारी बैंकों पर बढ़ा है. इन बैंकों ने सबसे ज्यादा कर्ज पांच औद्योगिक सेक्टर को दिए हैं. इनमें टेक्सटाइल, एविएशन, माइनिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर तथा सीमेंट शामिल हैं. सबसे अधिक एनपीए इन्हीं क्षेत्रों में है.