क्या दो ही दिन में अमरीका-तालिबान शांति समझौता हुआ फ़्लॉप ? तालिबान ने किए अफ़ग़ान सेना पर हमले
अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते को 48 घंटे भी नहीं हुए थे कि अफगानिस्तान में एक आतंकवादी बम धमाके में 27 लोग मारे गए हैं.वहीं अमेरिका द्वारा तालिबान के कुछ ठिकानो पर हवाई हमले करने की भी खबर है.ऐसे में सवाल यह उठता है कि अमरीका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते का कोई अर्थ है भी या नहीं.
उल्लेखनीय है कतर की राजधानी दोहा में 29 फरवरी को अमेरिका और कतर ने ऐतिहासिक समझौता किया था. इसके तहत, सभी पक्षों की ओर से संघर्ष-विराम किया जाना था. पाकिस्तान ने इस समझौते में अहम भूमिका निभाई थी.
इस समझौते के दो चरण है पहले चरण के तहत अमेरिका और तालिबान में शांति वार्ता हुई जिसकी शर्तों के अनुसार अमरीका अफगानिस्तान से अपने सैनिक वापस बुला लेगा और बदले में तालिबान अमेरिका के ख़िलाफ़ कोई संघर्ष नहीं करेगा. समझौते के दूसरे चरण में अफगानिस्तान सरकार और तालिबान एक दूसरे के क़ैदियों को रिहा करेंगे और नई शांति वार्ता शुरू करेंगे. हालाँकि अमेरिका ने यह भी कहा है कि वो अफ़ग़ान सरकार और सैनिकों की मदद करता रहेगा.

क़ैदियों की रिहाई है कारण
अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते में यह प्रावधान है कि तालिबान अपने कब्जे से एक हजार अफगानी सैनिकों को रिहा करेंगे और अफगानिस्तान सरकार पांच हजार तालिबानी कैदियों को रिहा करेगी. लेकिन, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस समझौते के बाद कहा कि वह इस बारे में वादा नहीं कर सकते कि तालिबान कैदियों को छोड़ा जाएगा. उनके इस बयान से तालिबान नाराज़ है. बताते चलें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति इस समझौते की कुछ शर्तों से नाखुश थे और उनका मानना था कि संघर्ष विराम में अफगानिस्तान की सरकार और अफ़ग़ानी लोगों को नज़रंदाज़ किया गया है. क़ैदियों की रिहाई पर उन्होंने कहा कि यह अमेरिका नहीं बल्कि अफगानिस्तान के लोग तय करेंगे कि किसे छोड़ा जाए और किसे नहीं.
उनके इस बयान के बाद ही तालिबान ने अफ़ग़ान सैनिक ठिकानो और अन्य स्थानो पर हमले शुरू कर दिए. तालिबान की शर्त है कि कैदियों की रिहाई के बिना कोई शांति वार्ता नहीं होगी और वे सभी पाँच हज़ार तालिबानी क़ैदियों को दस मार्च से पहले रिहा करवाना चाहते हैं. तालिबान इसके बाद शांति वार्ता का अगला चरण अफ़ग़ान सरकार के साथ शुरू करना चाहता है.
तालिबान का कहना है की अमेरिका-तालिबान समझौते के तहत, उनके मुजाहिदीन विदेशी सैनिकों पर हमला नहीं करेंगे. मगर अफगान सरकार पर हमारा हमला जारी रहेगा.