कोरोना संकट : ईरान और अमेरिका की लड़ाई से ख़तरे में आम लोग

ईरान में कोरोना की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है. आँकड़े बेहद भयावह हैं. देश में अब तक 27 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हैं और दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं विदेशी मीडिया लगातार यह अनुमान लगा रहा है कि ईरान में वास्तविक संख्या कहीं अधिक है. ईरान सरकार के आलोचकों का कहना है कि सरकार आँकड़ो को कम करके दिखा रही है. ईरान में कई सांसद और बड़े अधिकारी इसकी चपेट में आ गए यहाँ तक कि ईरान के स्वास्थ्य मंत्री को भी कोरोना हो गया.

कोरोना के ख़िलाफ़ ईरान की लड़ाई शुरुआत से ही कमजोर रही है. जिस समय कोरोना वायरस ने ईरान में दस्तक दी तब वहाँ संसदीय चुनाव चल रहे थे. यह बात फ़रवरी की है. ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्लाह अली ख़ुमने ने तब इसे विदेशी देशों की एक साज़िश बताया था.

इसके बाद अमेरिका में ईरान को वायरस से लड़ने में मदद देने की बात कही. लेकिन ख़ुमने ईरान ने अमेरिका से कोरोना सम्बंधित कोई भी मदद लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि ऐसे समय पर एक दुश्मन मुल्क से मदद नहीं ली जा सकती.

ख़ुमने ने इस वायरस के पीछे अमेरिकी हाथ होने का संदेह भी जताया. अल जज़ीरा की खबर के अनुसार उन्होंने कहा कि “हो सकता है यह वायरस ईरान के लोगों के लिए ही बनाया गया हो. “ उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी मदद, दवाओं और डाक्टरों से ईरान के लोग और ख़तरे में जा सकते हैं और अमेरिका ईरान में ऐसा ड्रग ला सकता है जिससे वायरस जिंदा रहे और उसे मिटाना नामुमकिन हो जाए. अमेरिका ने इन आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया है.

फ़िलहाल ईरान कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में हताश दिख रहा है. कई बार चेतावनी जारी करने बावजूद भी लोग त्योहारों, धार्मिक स्थलों पर भीड़ में इकट्ठा हो रहे हैं. हालांकि, सरकार ने स्कूलों, विश्वविद्यालयों और धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया है, और सांस्कृतिक और धार्मिक समारोह पर रोक लगा दी है. लेकिन पूरी तरह से लॉकडाउन अभी तक नहीं किया गया है.

आर्थिक संकट झेल रहा ईरान पूरी तरह लॉकडाउन के लिए तैयार नहीं दिखता. अमेरिका ने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं जिसकी वजह से कई देश और बिज़नेस समूह ईरान के साथ लेन देन नहीं कर सकते. अमरीका ने इस बात से इनकार किया है कि उसके प्रतिबंधों की वजह से ईरान को मेडिकल सप्लाई के आयात में परेशानी आ रही है. अमरीका का कहना है कि उसने मानवीय ज़रूरत के सामान को छूट दी हुई है. लेकिन ईरान हर बार इस दावे को ग़लत बताता है, ईरान के अनुसार बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान ईरान के साथ आर्थिक सम्बन्ध नहीं रख पा रहे जिसकी वजह से स्वास्थ्य सेवाएँ भी बेहद प्रभावित हैं.