क्या भारत को कोरोना के मरीज़ों का सही पता है, अधिक टेस्ट करने की ज़रूरत

क्या भारत में कोरोना के मरीज़ों की संख्या सही है ? इसका जवाब देना थोड़ा मुश्किल है लेकिन यह जानना बहुत ज़रूरी है कि मरीज़ों की सही संख्या कैसे पता लगाई जा सकती है.

कोरोना वायरस से मरीज़ को आमतौर पर शुरुआत जुकाम ज़ैसे लक्षण होते हैं. इसमें मरीज़ को शुरू में यह पता नहीं लगता कि उसे कोरोना है या फिर मौसमी बदलाव से होने वाले सामान्य ज़ुकाम. इस अवधि में जब मरीज़ अन्य लोगों के सम्पर्क में आता है जैसे हाथ मिलाना, आस पास छींकना इत्यादि तो यह वायरस सम्पर्क में आने वाले लोगों को भी हो जाता है.

अगर शुरू में ही यह पता लग जाए कि मरीज़ को कोरोना है तो न सिर्फ़ मरीज़ को बचाया जा सकता है बल्कि कोरोना को फैलने से रोका भी जा सकता है. लेकिन – यह पता लगेगा कैसे कि मरीज़ को कोरोना है या सामान्य ज़ुकाम. इसके लिए ज़रूरत होती है कोरोना टेस्ट की जिसमें आमतौर पर दो दिन लग जाते हैं और यह हर लैब में सम्भव भी नहीं. भारत में भी टेस्ट के लिए कुछ चुनिंदा जगह पर ही सुविधा उपलब्ध हैं.

तो अगर कम टेस्ट होंगे तो ज़ाहिर सी बात है की कम मरीज़ों का पता लगेगा पर इसका मतलब ये नहीं की मरीज़ कम हैं. मरीज़ बहुत हैं लेकिन सरकार को पता नहीं हैं और सम्भव है कि वे अन्य लोगों को संक्रमित कर रहे हैं. इस लिए दुनिया भर की सरकारें लाक्डाउन या लोगों से घरों में ही रहने और अन्य लोगों के सम्पर्क में न आने की बात कर रहे हैं.

अमेरिका में इसका उदाहरण देखने को मिला है. शुरुआत में अमेरिका में मरीज़ों को टेस्ट करने की दर बहुत कम थी तो मरीज़ों की संख्या का सही पता नहीं लग रहा था. इस दौरान मरीज़ खुले घूम रहे थे और अन्य लोग संक्रमित हो रहे थे.जैसे ही अमेरिका में टेस्ट की संख्या बढ़ी मरीज़ों की संख्या सुनामी की तरह बढ़ी और सरकार के पैरों से ज़मीन खिसक गई.टेस्ट बढ़ाने से ही पता चला कि मरीज़ों की संख्या कहीं अधिक है, सिर्फ़ दो हफ़्ते में ही यह संख्या एक लाख से ऊपर चली गई और लगातार बढ़ रही है.

दक्षिण कोरिया में हर 50 लाख आबादी पर 3692 लोगों का टेस्ट किया जा रहा है. इटली में हर 10 लाख आबादी पर 826 लोगों का टेस्ट किया जा रहा है.

भारत में टेस्ट की संख्या अभी उतनी अधिक नहीं है. देश में कोरोना वायरस के लिए टेस्ट करने की किट की संख्या आबादी के हिसाब से बहुत ही कम है. भारत में अभी 118 सरकारी लैब में कोरोना वायरस संक्रमण की जांच होने की व्यवस्था है.सरकारी अधिकारियों के मुताबिक 50 निजी लैब को जल्दी ही इसमें शामिल कर लिया जाएगा. लेकिन 1.3 अरब लोगों की आबादी के सामने यह पर्याप्त नहीं है.

एक हफ़्ते पहले तक खबर थी कि भारत में प्रतिदिन 10,000 नमूनों का टेस्ट करने की क्षमता है, और वर्तमान में 600-700 के आसपास टेस्ट हो रहा है और कुल 14000 के आस पास लोगों का ही टेस्ट हुआ है. यह संख्या बेहद कम है. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जैसे जैसे टेस्ट की संख्या बढ़ेंगी सही तस्वीर सामने आएगी. डर इस बात का है कि कहीं टेस्ट में देरी के चलते वायरस और ना फैल जाये.