मिस इंग्लैंड अपना ताज छोड़कर अपने पुराने पेशे पर लौटीं, अब डाक्टर बन कर मदद करेंगी
कोरोना के खतरे के बीच कुछ अच्छी खबर भी आ रही हैं. साल 2019 की मिस इंग्लैंड भाषा मुखर्जी ने फ़िलहाल अपना क्राउन उतारकर पुराने पेशे डॉक्टरी में लौटने का फ़ैसला लिया है. बी बी सी की एक खबर के अनुसार कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्होंने अस्पताल लौटने का फ़ैसला किया क्योंकि देश को उनकी ज़रूरत है. मिस इंग्लैंड चुनी जाने से पहले भाषा बॉस्टन के पिलग्रिम हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर थीं. वो श्वसन रोगों की विशेषज्ञ हैं.
भारतीय मूल की भाषा मुखर्जी ब्रिटिश नागरिक हैं और उनका बचपन कोलकाता में बीता है. जब वो 9 साल की थीं तब उनका परिवार ब्रिटेन चला गया. वह अगस्त 2019 में मिस इंग्लैंड चुनी गई थीं. भाषा मुखर्जी के पास मेडिकल साइंस में और मेडिसिन एंड सर्जरी में दो डिग्रियां हैं. भाषा ने नॉटिंघम यूनिवर्सिटी से मेडिसिन और सर्जरी में ग्रेजुएट है. वह अंग्रेजी और हिंदी के साथ बांग्ला, जर्मन और फ्रेंच भाषा बोल सकती हैं.
मिस इंग्लैण्ड का खिताब जीतने के बाद वे विश्व के विभिन्न हिस्सों में मानवता के कार्यों के लिए घूम रहीं थी. इसी सिलसिले में वह पिछले महीने ही भारत में थीं. भारत प्रवास के दौरान कई स्कूलों का दौरा किया था. भाषा मुखर्जी का मानना है कि भले ही वो मिस इंग्लैंड के तौर पर इंसानियत के लिए ही काम कर रही थीं, लेकिन जब दुनिया भर में लोग कोरोना वायरस से मर रहे हैं और उनके डॉक्टर साथी इतनी मेहनत कर रहे हैं, उनका ताज पहन कर घूमना शायद सही नहीं होगा. उन्होंने बताया कि लगातार उन्हें दोस्तों के मैसेज मिल रहे थे इसके बाद उन्होंने उस अस्पताल से संपर्क किया जहां वो पहले काम करती थीं और बतौर डॉक्टर काम पर आने की इच्छा जताई.