ट्रम्प ने रोकी WHO की फ़ंडिंग, क्यों नाराज़ हैं ट्रम्प WHO से ?

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की फ़ंडिंग रोकने का फ़ैसला किया है. ट्रम्प ने WHO पर चीन का साथ देने का आरोप लगाया था और कहा था कि वे WHO की फ़ंडिंग की समीक्षा करेंगे, ट्रम्प का यह फ़ैसला इसके बाद आया है. ट्रम्प के समर्थक रिपब्लिक सांसदों ने उनके इसके फ़ैसले का समर्थन किया है और कुछ सांसदों ने तो WHO प्रमुख अदानोम गेब्रेयसस को हटाने की बात भी कही है. अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के 17 रिपब्लिकन सदस्यों ने कहा कि उनका डब्ल्यूएचओ के टेड्रोस अदानोम गेब्रेयसस के नेतृत्व पर भरोसा उठ गया है और गेब्रेयसस के इस्तीफ़े के बाद ही WHO की फ़ंडिंग दोबारा शुरू की जानी चाहिए.

वहीं WHO प्रमुख गेब्रेयसस ने अमेरिका के इस फ़ैसले पर अफ़सोस जताया है. उन्होंने कहा “इस ख़तरनाक वायरस को हराने में आपके देश की एकता बेहद महत्वपूर्ण होगी.  हम आपको भरोसा दिलाते हैं…ऐसा कोई भी देश जिसके पास बेहतर प्रणाली हो सकती है, वो भी इस एकता के बिना मुश्किल और संकट में होगा. कोविड 19 का इस्तेमाल राजनैतिक फ़ायदे के लिए किए जाने की ज़रूरत नहीं है.”

कोरोना को लेकर WHO की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं. 14 जनवरी को WHO ने ट्वीट किया कि चीन की शुरुआती जांच में इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में फैलता है. इसके बाद ये आरोप लगे थे कि WHO चीन की बातों आँख बंद कर के भरोसा कर रहा है. पिछले दिनों WHO प्रमुख ने चीन के प्रयासों की तारीफ़ की और कहा कि जिस तेज़ी से चीन ने इस महामारी का पता लगाया और लगातार पारदर्शिता बरती वो सराहनीय है. WHO द्वारा चीन की तारीफ़ किए जाने से अमेरिका ख़ासा नाराज़ हो गया था.

कौन हैं WHO प्रमुख

WHO प्रमुख डॉ टेड्रोस अदानोम गेब्रेयसस एक ईथोपियाई नागरिक हैं. वे एक माइक्रोबाइओलोजिस्ट हैं और मलेरिया में उन्होंने काफ़ी शोध किया है. WHO का प्रमुख बनने से पहले वे इथियोपिया की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके हैं. वे साल 2017 से WHO प्रमुख हैं और उन्हें इस पद पर पहुँचाने के लिए चीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ईथोपिया में चीन ने काफ़ी निवेश किया है.