अमेरिका में कच्चे तेल की क़ीमतें शून्य से भी नीचे, दुकानदार दे रहा अपना ही माल ख़रीदने के पैसे
दुनिया भर के बाज़ारों में कच्चे तेल की क़ीमतों में कमी आई है. अमेरिका में कच्चा तेल मई के वायदा सौदों के लिए सोमवार को गिरते हुए -37.63 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. माइनस में गयी यह क़ीमत बताती है कि तेल उत्पादक कम्पनियाँ ख़रीदार कम्पनियों को पैसे दे रही हैं और कह रही हैं कि कृपया सौदा पूरा करो.
तेल उत्पादक कम्पनियों को तेल बेचना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि अगर तेल नहीं बिका तो स्टोरेज की समस्या पैदा हो जाएगी. तेल का स्टोरेज एक महँगी प्रक्रिया है. उत्पादकों को स्टोर करने वाले स्टोर और टैंकरों का किराया चुकाना होता है जिसके लिए तेल का बिकना ज़रूरी है. अभी स्टोर भरे पड़े हैं लेकिन खपत नदारद है. इसलिए दुकानदार आपको अपना ही माल ख़रीदने के पैसे दे रहा है.

दरसल जिन व्यवसायियों ने मई महीने के लिए कच्चा तेल ख़रीदने का वायदा किया था, उन्होंने अब यह तेल ख़रीदने से मना कर दिया है. व्यवसायी कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन की वजह से तेल ख़रीदने में असमर्थता जता रहे हैं. इस वजह से कच्चे तेल की माँग में कमी आई है और क़ीमतें बेहद निचले स्तर पर पहुँच गयी हैं. वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह एक अच्छा संकेत नहीं है.
कारोबारियों का कहना है कि उनके पास पहले से इतना तेल जमा पड़ा है जिसकी खपत नहीं हो रही है. हालत इतनी बिगड़ गयी है कि तेल उत्पादक कारोबारियों को अपने पास से रकम देने को तैयार हैं कि आप हमसे खर्च ले लो, लेकिन कच्चा तेल ले जाओ और वायदा सौदे को पूरा करो. क्योंकि उन्हें डर है कि अगर तेल नहीं बिका तो स्टोरेज की समस्या भी बढ़ेगी.ऐसा कच्चे तेल के इतिहास में पहली बार हुआ है.
हालाँकि तेल की इस समस्या से जूझने के लिए तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक और इसके सहयोगी तेल उत्पादन में 10 फ़ीसदी तक की कमी लाने को राज़ी हुए थे, लेकिन इससे भी समस्या नहीं सुलझी.