ट्रम्प ने तोड़े WHO से सभी सम्बन्ध, चीन का समर्थक होने का आरोप लगाया
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से सभी सम्बन्ध तोड़ने की घोषणा कर दी है. ट्रम्प का कहना है कि WHO कोरोना संकट को सम्भालने में नाकाम रहा है और यह संगठन चीन की कठपुतली बन गया है. इससे पहले ट्रम्प ने WHO को दिए जाने वाले फंड को भी रोक दिया था. अमेरिका डब्ल्यूएचओ को सबसे अधिक फंडिंग देने वाला सदस्य रहा है.

ट्रम्प के इस फ़ैसले के बाद बाद यूरोपीय संघ ने उनसे अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है वहीं जर्मनी ने निराशा ज़ाहिर की है.
ट्रम्प ने कोरोना वायरस प्रकोप के बारे में चीन के गलत जानकारी देने को लेकर संगठन के चीन परस्त होने का आरोप लगाया था और कहा था कि उनका प्रशासन संगठन की समीक्षा करेगा. डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने इन दावों का खंडन किया था. वहीं चीन ने जोर देकर कहा था कि वह पारदर्शी और खुला है और उसने कोई भी जानकारी नहीं छिपाई है.
कोरोना को लेकर WHO की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं. 14 जनवरी को WHO ने ट्वीट किया कि चीन की शुरुआती जांच में इस बात के संकेत नहीं मिले हैं कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों में फैलता है. इसके बाद ये आरोप लगे थे कि WHO चीन की बातों आँख बंद कर के भरोसा कर रहा है. पिछले दिनों WHO प्रमुख ने चीन के प्रयासों की तारीफ़ की और कहा कि जिस तेज़ी से चीन ने इस महामारी का पता लगाया और लगातार पारदर्शिता बरती वो सराहनीय है. WHO द्वारा चीन की तारीफ़ किए जाने से अमेरिका ख़ासा नाराज़ हो गया था.
कौन हैं WHO प्रमुख
WHO प्रमुख डॉ टेड्रोस अदानोम गेब्रेयसस एक ईथोपियाई नागरिक हैं. वे एक माइक्रोबाइओलोजिस्ट हैं और मलेरिया में उन्होंने काफ़ी शोध किया है. WHO का प्रमुख बनने से पहले वे इथियोपिया की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके हैं. वे साल 2017 से WHO प्रमुख हैं और उन्हें इस पद पर पहुँचाने के लिए चीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. ईथोपिया में चीन ने काफ़ी निवेश किया है.