फिर भिड़े चीन और आस्ट्रेलिया – दक्षिणी चीन सागर पर है विवाद
आस्ट्रेलिया और चीन एक बार फिर आमने सामने आ गए हैं. इस बार जंग का मैदान बना है ट्विटर. भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओफैरेल ने एक ट्वीट करके दक्षिण चीन सागर में चीन पर अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया है. इसके जवाब में चीनी राजदूत सुन ने ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक की टिप्पणियों पर विरोध जताते हुए ट्वीट किया और कहा कि वे बिना मतलब की बातें कर रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर मलेशिया भी अब चीनी आक्रामकता के खिलाफ खुलकर सामने आ गया है.मलेशिया ने भी साउथ चाइना सी पर चीन के कथित दावे को खारिज कर दिया है.

दरअसल पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया ने चीन के वुहान में पिछले साल नंवबर महीने में कोरोना की उत्पति को लेकर एक जांच की मांग की थी. इसके बाद से चीन चिढ़ा हुआ है और उसने ऑस्ट्रेलिया से कई आयात तक बंद कर दिया है. बदले में आस्ट्रेलिया ने चीन को हांगकांग और दक्षिण सागर जैसे मुद्दों पर घेरना शुरू कर दिया है.
दक्षिणी चीन सागर विवाद क्या है
यह चीन के दक्षिण में स्थित एक सीमांत सागर है। यह प्रशांत महासागर एक भाग है, जो सिंगापुर से लेकर ताइवान की खाड़ी तक लगभग ३५,००,००० वर्ग किमी में फैला हुआ है। पाँच महासागरों के बाद यह विश्व के सबसे बड़े जलक्षेत्रों में से एक है। इस सागर में बहुत से छोटे-छोटे द्वीप हैं. चीन दक्षिण-चीन सागर के 90% हिस्से को अपना मानता है. यह एक ऐसा समुद्री क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक तेल और गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.
एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी परिधि में करीब 11 अरब बैरल प्राकृतिक गैस और तेल तथा मूंगे के विस्तृत भंडार मौज़ूद हैं. इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण इसका सामरिक महत्त्व भी बढ़ जाता है. यही कारण है कि चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम रखना चाहता है. वहीं भारत, आस्ट्रेलिया, मलेशिया और कुछ अन्य देश स्पष्ट रूप से यूनाइटेड नेशंस के सिद्धांतो के आधार पर दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र व निर्बाध जल परिवहन का समर्थन करते हैं. इन देशों का कहना है कि यह सागर किसी एक देश की सम्पति नहीं है.