बेलारूस में अशांति और हिंसा – राष्ट्रपति चुनावों में गड़बड़ी का आरोप
बेलारूस में राष्ट्रपति चुनावों के बाद हिंसा भड़क उठी है. राजधानी मिंस्क में बड़े पैमाने पर आम लोगों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुई हैं. प्रदर्शनकारियों पर बल और आंसू गैस का प्रयोग भी किया गया है.
यहाँ रविवार को राष्ट्रपति चुनाव हुए थे. चुनाव सम्पन्न होने के बाद बेलारूस के सरकारी टेलीविजन में दिखाए गए एक एक्ज़िट पोल में वर्तमान राष्ट्रपति अलेग्ज़ेंडर लुकाशेंको को स्पष्ट रूप से जीत की ओर बढ़ता दिखाया गया है. इसके बाद से ही लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने इन नतीजों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने शुरू कर दिए. लोगों का कहना है कि चुनाव में गड़बड़ी की गई है. विपक्ष ने पहले ही कहा था कि उन्हें वोटों में धांधली होने की उम्मीद है.

बेलारूस ( जिसका शाब्दिक अर्थ है सफ़ेद रूसी ) सोवियत संघ का एक सदस्य था. 25 अगस्त, 1991 को बेलारूस सोवियत संघ से आज़ाद हुआ. इसके बाद बेलारूस ने अपना नया संविधान बनाया. 1994 में आए संविधान में राष्ट्रपति शासन प्रणाली अपनाई गई. इसी व्यवस्था के तहत जून 1994 को बेलारूस में हुआ पहला राष्ट्रपति चुनाव और
अलेग्ज़ेंडर लुकाशेंको राष्ट्रपति चुने गए.तब से आज तक वे ही सत्ता पर क़ाबिज़ हैं. इस बीच बेलारूस में राष्ट्रपति चुनाव होते रहे मगर हर बार अलेग्ज़ेंडर लुकाशेंको ही चुनकर आए. उन पर तानाशाह होने और चुनाव में गड़बड़ी करने के आरोप लगते रहे हैं.
अलेग्ज़ेंडर लुकाशेंको साल 1994 से सत्ता में हैं जबकि मुख्य विपक्षी उम्मीदवार स्वेतलाना तिखानोव्सना एक 37 वर्षीय महिला हैं जिनके पति सरहेई तसिख़ानोउस्की राष्ट्रपति की नीतियों का विरोध करने की वजह से जेल में हैं. पति को गिरफ़्तार किये जाने स्वेतलाना ने अपने पति की जगह राजनीति में क़दम रखा.स्वेतलाना एक शिक्षिका रह चुकी हैं और एक बच्चे की माँ हैं.
अलेग्ज़ेंडर लुकाशेंको विरोधियों के प्रति अपने कठोर व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय से पूरे देश में उनके ख़िलाफ़ विरोध चल रहा है. इसके कई कारण हैं – उनका तानाशाही रवैया, कोरोना को लेकर उनकी लापरवाही और बेतुके बयान. मसलन लुकाशेंको ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए देशवासियों को वोदका पीने ,सोना बाथ (गर्म पानी से स्नान), ट्रैक्टर चलाने और बकरियों के साथ खेलने की सलाह दी जिसका दुनिया भर में मज़ाक़ उड़ाया गया. बाद में उन्होंने यह भी कहा कि वह लोगों को कोरोना की मौत की जानकारी इसलिए नहीं दे रहे है कि कहीं लोग इसे लेकर भयभीत न हो जाएँ.