पाकिस्तानी विदेश मंत्री के बयानों से खफा सऊदी अरब, कहा पाकिस्तान तुरंत चुकाए क़र्ज़
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा सऊदी अरब की यात्रा पर हैं. पिछले कुछ दिनों से सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच सम्बन्ध ठीक नहीं हैं. आलम यह है कि सऊदी ने पाकिस्तान से साल 2018 में 3 अरब डॉलर के कर्ज और 3.2 अरब के ऑइल क्रेडिट फसिलटी की मदद को वापस चुकाने के लिए कह डाला. इसी बीच सऊदी अरब ने पाकिस्तान को क्रेडिट पर तेल और गैस देने पर भी रोक लगा दी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि बाजवा इन्हीं हालात को सुलझाने की कोशिश में गए हैं. बाजवा का ये दौरा ये कोशिश करेगा कि ऐतिहासिक रूप से क़रीब रहे पाकिस्तान और सऊदी अरब के रिश्तों में आए तनाव को कुछ कम किया जा सके.
ताज़ा हालात पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयानों से ख़राब हुए हैं. पिछले दिनों कुरैशी ने सऊदी अरब पर सीधे सीधे वार करते हुए कहा था कि सऊदी अरब ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ खड़ा नहीं हो रहा है. कुरैशी ने कहा था कि ओआईसी कश्मीर पर अपने विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने में देरी न करे. उल्लेखनीय है कि OIC, 57 मुस्लिम देशों का संगठन है. यह संयुक्त राष्ट्र के बाद दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है. पाकिस्तान इन देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग कर रहा है जिसमे कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर चर्चा की जाये. OIC पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है.
प्रमुख पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार कुरैशी ने कहा “यदि आप बैठक नहीं बुला सकते तो मजबूरन मुझे प्रधानमंती इमरान खान से यह कहना पड़ेगा कि वह ऐसे इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं”. क़ुरैशी के इस बयान को ओआईसी में सऊदी अरब के नेतृत्व को चुनौती देने की तरह देखा गया.इसके पहले भी कुरैशी इस तरह के बयान दे चुके हैं. लेकिन इस बार सऊदी अरब ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दिखाई है उसकी पकिस्तान को उम्मीद नहीं थी. अब सारा पाकिस्तान सऊदी अरब को मनाने में जुट गया है. इसी के चलते जनरल बाजवा को सऊदी अरब की यात्रा करनी पड़ी है.
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच धार्मिक सम्बन्ध हैं. पाकिस्तान को सऊदी अरब बड़ी आर्थिक मदद और क़र्ज़ देता रहा है. हालाँकि भारत और सऊदी अरब एक बड़े व्यापारिक पार्टनर हैं. भारत सऊदी अरब से तेल का एक बड़ा खरीददार है. सऊदी अरब की बड़ी तेल कंपनी आरामको, भारत की कंपनी रिलायंस की तेल रिफाइनरी में लगभग 15 प्रतिशत तक हिस्सेदारी खरीदने पर काम कर रही है.