थाईलैंड में छात्रों का सरकार और राजशाही विरोधी प्रदर्शन, संविधान संशोधन की मांग

थाईलैंड में हज़ारों छात्र सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्र संविधान में संशोधन और राजशाही व्यवस्था में सुधार की बात कर रहे हैं. वे यह भी चाहते हैं कि 2014 के सैन्य तख्तापलट में सत्ता संभालने वाले प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओखा इस्तीफा दे दें. हज़ारों की संख्या में छात्र लगभग एक महीने पहले सड़कों पर उतरे थे, तब से अब तक प्रदर्शन लगातार जारी हैं. थाईलैंड में राजशाही की आलोचना एक गंभीर अपराध है और इस पर तीन से पंद्रह साल तक की जेल हो सकती है.

राजधानी बैंकाक में छात्र “तानाशाही ख़त्म करो” जैसे नारे लगा रहे हैं और शांति के प्रतीक कबूतरों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी छात्रों में हाईस्कूल से लेकर विश्विद्यालय के छात्र शामिल हैं. थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा है कि राजशाही के सुधार की कोई गुंजाईश नहीं है. थाईलैंड में अब तक 19 बार संविधान बदला जा चुका है. लगभग हर संविधान में राजा को “सर्वोच्च और पूजनीय” कहा गया है. और यह भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति राजा की आलोचना या उन पर कोई आरोप नहीं लगा सकता.

थाईलैंड में सरकार ने पिछले साल चुनाव करवाए जिन पर धांधली का आरोप लगा. इस साल फरवरी में विरोध की एक नई लहर शुरू हुई जब एक अदालत ने लोकतंत्र समर्थक फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी को भंग करने का आदेश दिया. सड़कों पर प्रदर्शन करने के साथ साथ छात्र बड़े ऑनलाइन केम्पेन बी चला रहे हैं. छात्र थाईलैंड को एक पूर्ण लोकतंत्र बनाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने अपनी मांगों को दस बिंदुओं के एक मेनिफेस्टो में रखा है. आरोप है कि चूंकि यह राजशाही से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा है इसी लिए प्रमुख थाई मीडिया संस्थाओं ने इस मेनिफेस्टो के बारे में डिटेल रिपोर्टिंग नहीं की. सोशल मीडिया में विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.

थाईलैंड में सैन्य तख्तापलट का एक पुराना इतिहास रहा है. वर्तमान प्रधानमंत्री प्रयुथ एक सैनिक जरनल थे, जो साल 2014 के एक सैन्य तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री बने थे. प्रयुथ साल 2019 में हुए चुनावों दोबारा प्रधानमंत्री चुने गए. इन चुनावों में धांधली का आरोप लगा है. प्रधानमंत्री प्रयुथ की सरकार ने देश में कोरोना को अच्छी तरह से सम्हाला है लेकिन आर्थिक मोर्चे पर उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है.