चीन और पाकिस्तान के कश्मीर पर साझा बयान से भारत ख़फ़ा

भारत ने चीन और पाकिस्तान के उस साझा बयान पर नाराज़गी जताई है जिसमें कश्मीर का ज़िक्र किया गया है. चीन और पाकिस्‍तान ने भारत को संदेश देते हुए कहा है कि वे अपने राष्‍ट्रीय हितों की रक्षा मिलकर करेंगे.वहीं भारत ने कहा है कि भारत के अंदरून मामलों में किसी देश को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी इस समय चीन की यात्रा पर हैं. पाकिस्‍तानी विदेश मंत्री की यह चीन यात्रा ऐसे समय पर हुई है जब पाकिस्‍तान का सऊदी अरब और यूएई के साथ टकराव चल रहा है.

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पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर एक अलग गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहा है, साफ़ तौर पर जिसका उद्देश्य भारत के लिए संकट पैदा करना है. चीन और पाकिस्‍तान के बीच घोषणापत्र में सबसे महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा यह है कि चीन ने पाकिस्‍तान को ऐसी स्‍वतंत्र नीतियों को बनाने का समर्थन किया है जो उसके राष्‍ट्रीय हित में हैं. इसका अर्थ यह है कि चीन पाकिस्तान को खुला समर्थन दे रहा है कि वह सऊदी अरब की छत्रछाया से बाहर आ जाए.

पिछले दिनों कुरैशी ने सऊदी अरब पर सीधे सीधे वार करते हुए कहा था कि सऊदी अरब ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) में जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ खड़ा नहीं हो रहा है. कुरैशी ने कहा था कि ओआईसी कश्‍मीर पर अपने विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक बुलाने में देरी न करे वरना पाकिस्तान को उन देशों की बैठक बुलानी होगी जो कश्मीर के हिमायती हैं. इस बात से नाराज़ होकर सऊदी अरब ने पाकिस्तान से साल 2018 में 3 अरब डॉलर के कर्ज और 3.2 अरब के ऑइल क्रेडिट फसिलटी की मदद को वापस चुकाने के लिए कह डाला. इसी बीच सऊदी अरब ने पाकिस्तान को क्रेडिट पर तेल और गैस देने पर भी रोक लगा दी. हालत सम्भालने के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा सऊदी अरब की यात्रा पर गए.

चीन ने पाकिस्‍तान को लोन चुकाने के लिए एक अरब डॉलर दिया है जिसे उसने सऊदी अरब को अपना क़र्ज़ चुकाने के लिए दिया है.