चीन ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए घातक मिसाइलें दागी, अमेरिका पलटवार को तैयार
ख़बरों के अनुसार चीन ने दक्षिणी चीन सागर में अमेरिका को चेतावनी देते हुए दो मिसाइलें दागी हैं जिनमे से एक घातक “एयरक्राफ्ट कैरियर किलर” मिसाइल है. चीन के अख़बार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने अपनी खबर में कहा है कि बीजिंग ने बुधवार 26 अगस्त को झेजियांग प्रांत से एक इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल DF-26B और दूसरी मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल DF-21D को लॉन्च किया. चीन के अनुसार उसने ऐसा अमेरिका के दक्षिणी चीन की “नो फ्लाई ज़ोन” में की जा रही हवाई गतिविधियों की प्रतिक्रिया में किया है. इन दो मिसाइलों को कथित तौर पर हैनान प्रांत और विवादित पेरासेल द्वीप समूह के बीच लांच किया गया.
अखबार के मुताबिक, अमेरिका का एक यू -2 जासूसी विमान मंगलवार को चीन के बोहाई सागर के उत्तरी तट के “नो-फ्लाई ज़ोन”में घुस गया. यह “नो-फ्लाई ज़ोन” चीन ने घोषित किया हुआ है. इस इलाके में चीन की नौसेना अभ्यास कर रही थी. चीन ने कहा है कि अमेरिका ने “उकसाने” वाली कार्यवाही की और चीन ने उसका जवाब दिया है.
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने गुरुवार को कहा कि चीन की सेना न तो “अमेरिका की धुन पर नाच” करेगी और न ही अमेरिका को “परेशानी का कारण” बनाएगी. वहीँ रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका इस कार्यवाही का जवाब ज़रुर देगा. पिछले कुछ समय से दोनों देश कोरोना और अर्थव्यवस्था जैसे कई मुद्दों पर आमने सामने आ गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प सीधे सीधे चीन पर कोरोना को फ़ैलाने और दुनिया को अँधेरे में रखने का आरोप लगा चुके हैं.

रक्षा विश्लेषकों ने कहा है कि चीन के इस कदम से अमेरिका को इस इलाके में और अधिक मिसाइलों को तैनात करने और बीजिंग की ओर अधिक आक्रामक रुख अपनाने का मौका मिल सकता है. इस कारण दोनों ताकतों के बीच एक सशस्त्र संघर्ष का खतरा बढ़ गया है. दक्षिण चीन सागर अन्तराष्ट्रीय राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा है. अमेरिका और भारत जैसे देश चीन को इस मुद्दे पर घेरते रहे हैं.
दक्षिणी चीन सागर विवाद क्या है
यह चीन के दक्षिण में स्थित एक सीमांत सागर है। यह प्रशांत महासागर एक भाग है, जो सिंगापुर से लेकर ताइवान की खाड़ी तक लगभग ३५,००,००० वर्ग किमी में फैला हुआ है। पाँच महासागरों के बाद यह विश्व के सबसे बड़े जलक्षेत्रों में से एक है। इस सागर में बहुत से छोटे-छोटे द्वीप हैं. चीन दक्षिण-चीन सागर के 90% हिस्से को अपना मानता है. यह एक ऐसा समुद्री क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक तेल और गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है.
एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी परिधि में करीब 11 अरब बैरल प्राकृतिक गैस और तेल तथा मूंगे के विस्तृत भंडार मौज़ूद हैं. इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण इसका सामरिक महत्त्व भी बढ़ जाता है. यही कारण है कि चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम रखना चाहता है. वहीं भारत, आस्ट्रेलिया, मलेशिया और कुछ अन्य देश स्पष्ट रूप से यूनाइटेड नेशंस के सिद्धांतो के आधार पर दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्र व निर्बाध जल परिवहन का समर्थन करते हैं. इन देशों का कहना है कि यह सागर किसी एक देश की सम्पति नहीं है.