थाईलैंड में सरकारी दबाव में झुका फ़ेसबुक, सरकार की आलोचना करने वालों को बैन किया
भारत में बीजेपी की सरकार के साथ साँठगाँठ का आरोप लगने के बाद अब सोशल नेटवर्किंग कम्पनी फ़ेसबुक पर थाईलैंड में भी इसी तरह के आरोप लग रहे हैं. फेसबुक ने थाईलैंड के राजा की आलोचना करने वाले 10 लाख लोगों के एक ग्रुप को ब्लॉक कर दिया है.
“रॉयलिस्ट मार्केट्प्लेस” नाम के इस ग्रुप के 10 लाख से भी अधिक सदस्य थे. इस ग्रुप में लोग राजशाही की आलोचना और देश में चल रहे आंदोलन का समर्थन करते थे. ग्रुप के सदस्यों का कहना है कि फ़ेसबुक “सेना के हाथों चलने वाली सरकार” के आगे झुक गया है. वही फ़ेसबुक ने कहा है कि उसे इस ग्रुप को बैन करने के लिए “मजबूर” किया गया और वह इसके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की योजना बना रहा है.

पिछले कई हफ़्तों से थाईलैंड में हज़ारों छात्र सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्र संविधान में संशोधन और राजशाही व्यवस्था में सुधार की बात कर रहे हैं. थाईलैंड में राजशाही की आलोचना एक गंभीर अपराध है और इस पर तीन से पंद्रह साल तक की जेल हो सकती है. प्रदर्शनकारी छात्रों में हाईस्कूल से लेकर विश्विद्यालय के छात्र शामिल हैं. थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने कहा है कि राजशाही के सुधार की कोई गुंजाईश नहीं है. थाईलैंड में अब तक 19 बार संविधान बदला जा चुका है. लगभग हर संविधान में राजा को “सर्वोच्च और पूजनीय” कहा गया है. और यह भी कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति राजा की आलोचना या उन पर कोई आरोप नहीं लगा सकता.
प्रदर्शनकारी वास्तविक और सम्पूर्ण लोकतंत्र की माँग कर रहे हैं. वे यह भी चाहते हैं कि 2014 के सैन्य तख्तापलट में सत्ता संभालने वाले प्रधानमंत्री प्रयुथ चान-ओखा इस्तीफा दे दें. थाईलैंड में सैन्य तख्तापलट का एक पुराना इतिहास रहा है. वर्तमान प्रधानमंत्री प्रयुथ एक सैनिक जरनल थे, जो साल 2014 के एक सैन्य तख्तापलट के बाद प्रधानमंत्री बने थे. प्रयुथ साल 2019 में हुए चुनावों दोबारा प्रधानमंत्री चुने गए. इन चुनावों में धांधली का आरोप लगा है. इस साल फरवरी में विरोध की एक नई लहर शुरू हुई जब एक अदालत ने लोकतंत्र समर्थक फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी को भंग करने का आदेश दिया. सड़कों पर प्रदर्शन करने के साथ साथ छात्र बड़े ऑनलाइन केम्पेन भी चला रहे हैं. छात्र थाईलैंड को एक पूर्ण लोकतंत्र बनाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने अपनी मांगों को दस बिंदुओं के एक मेनिफेस्टो में रखा है. आरोप है कि चूंकि यह राजशाही से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा है इसी लिए प्रमुख थाई मीडिया संस्थाओं ने इस मेनिफेस्टो के बारे में डिटेल रिपोर्टिंग नहीं की. सोशल मीडिया में विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें वायरल हो रही हैं.