फ़्रांस की पत्रिका शार्ली एब्डो ने फिर छापे पैग़म्बर मुहम्मद के विवादित कार्टून
फ़्रांस की व्यंग पत्रिका शार्ली एब्डो ने पैग़म्बर मुहम्मद के उन कार्टूनों को फिर से छापा है जिनकी वजह से कुछ साल पहले पत्रिका के दफ़्तर और फ़्रांस में आतंकवादी हमले हुए थे. इस मामले में इस हफ़्ते से मुक़दमे की कार्यवाही शुरू हो रही है और इसीलिए पत्रिका की टीम ने फ़्री स्पीच के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने के लिए इन कार्टूनों को दोबारा प्रकाशित किया है.
उल्लेखनीय है कि 7 जनवरी 2015 को सैड और चेरिफ़ कोची नाम के भाइयों ने शार्ली एब्डो के दफ़्तर में घुस कर गोलीबारी की थी जिसमें शार्ली एब्डो के कर्मचारियों समेत 12 लोग मारे गए थे. मरने वालों में दो पुलिसकर्मी भी थे.

पत्रिका के निदेशक लॉरां रिस सुरिसे ने शार्ली एब्डो के ताजा अंक के संपादकीय में लिखा है, “हम कभी नहीं झुकेंगे, हम कभी पीछे नहीं हटेंगे.” उन्होंने आगे लिखा है, “जनवरी 2015 के बाद हमसे अकसर मोहम्मद के दूसरे कार्टूनों को छापने के लिए कहा जाता रहा. हमने ऐसा करने से हमेशा इनकार किया. इसलिए नहीं कि इस पर रोक थी. फ़्रांस का क़ानून हमें ऐसा करने की इजाज़त देता है. मगर ऐसा करने के लिए कोई ठीक वजह होनी चाहिए थी. ऐसी वजह जिसका कोई अर्थ हो और जिससे एक बहस पैदा हो. इन कार्टूनों को जनवरी 2015 के हमलों पर सुनवाई शुरू होने वाले हफ़्ते में छापना हमें ज़रूरी लगा.”
शार्ली एब्डो अलग अलग धर्मों और राजनीति के नेताओं का कार्टून बनाने को अभिव्यक्ति की आजादी मानता है और अक्सर पत्रिका में इन कार्टूनों को छापा जाता है. इन्होंने साल 2006 में पैग़म्बर मुहम्मद का कार्टून छापा था. हालाँकि यह कार्टून सबसे पहले डेनमार्क के अखबार जेलैंड्स पोस्ट में प्रकाशित हुआ था जिसे शार्ली एब्डो ने दोबारा प्रकाशित किया था. इसके कार्यालयों पर नवंबर 2011 में गोलीबारी हुई थी और बम फेंके गए थे.
साल 2015 में इनके दफ़्तर में दोबारा हमला हुआ था जिसमें 12 लोग मारे गए. मरने वालों में पत्रिका के कई प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट भी थे. हालांकि इस हमले के बाद भी पत्रिका के स्टाफ हौंसला नहीं टूटा और अगले एडिशन में उन्होंने फिर से कवर पेज पर पैगंबर का कार्टून छापा था. हमलों के बाद विश्व भर में हज़ारों लोग शार्ली एब्डो के समर्थन में सड़कों पर उतर आए थे और #JeSuisCharlie (फ़्रेंच में जिसका अर्थ मैं चार्ली हूं) हैशटैग पूरी दुनिया में छा गया था.