16 हज़ार हत्याओं के दोषी की मौत, ख़मेर रूज़ के ज़माने का जेलर था

कंबोडिया के तानाशाह ख़मेर रूज़ के शासन में 6 हजार कंबोडियाई नागरिकों की जेल में यातना देकर हत्या करने वाले कियांग गुयेक इआव की 77 साल की उम्र में मौत हो गई है.साल 1970 के दशक में वो तानाशाह खमेर रूज शासन में शीर्ष अधिकारी और प्रमुख जेलर हुआ करते थे. कियांग को डच के नाम से भी लोग जानते हैं. कियांग ख़मेर रूज़ के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले हर कैदी को जेल में यातना देकर मार देते थे. तानाशाह ख़मेर रूज़ का साथ देने की वजह से कियांग को युद्ध अपराधी घोषित किया गया था. संयुक्त राष्ट्र समर्थित कोर्ट में साल 2009 में हुई सुनवाई में कियांग ख़मेर रूज़ शासन के पहले शीर्ष अधिकारी थे जिन्हें सज़ा सुनाई गई थी. उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी.

1970 के दशक में ख़मेर रूज़ का शासन कम्बोडिया में एक क्रूर शासनकाल के रूप में जाना जाता है. इसके शासन में कम्बोडिया में 17 लाख से भी अधिक लोग मारे गए थे यह संख्या कंबोडिया की उस समय की कुल आबादी की 25 फीसदी थी.

Photo by Michiel Verledens on Pexels.com

क्या है ख़मेर रूज़

ख़मेर कम्बोडिया में रहने वाले लोगों को कहा जाता है और रूज़ का मतलब है ‘लाल’. शाब्दिक रूप से ख़मेर रूज़ का अर्थ होता है ‘लाल ख़मेर लोग’. ख़मेर रूज़ साल 1975 से 1979 तक कम्बोडिया में राज करने वाली “कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ कम्पूचिया” के सदस्यों को कहा जाता था. अपने नेता पोल पोट के नेतृत्व में ख़मेर रूज़ ने भारी पैमाने पर हत्याएं कीं. ख़मेर रूज़ अपने विरोधियों की हत्या के लिए कुख्यात था. 1970 के दशक में, ख़मेर रूज़ को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा बड़े पैमाने पर समर्थन किया गया था. यह अनुमान लगाया जाता है कि खमेर रूज को प्रदान की गई विदेशी सहायता का कम से कम 90% चीन से आया था.

अप्रैल 1975 में, ख़मेर रूज़ ने कंबोडिया में सत्ता पर कब्जा कर लिया और जनवरी, 1976 में डेमोक्रेटिक कम्पुचिया की स्थापना की. ख़मेर रूज़ ने कट्टरपंथी कार्यक्रम के तहत देश को चलाया जिसमें देश को सभी विदेशी प्रभावों से अलग करना, स्कूलों, अस्पतालों और कारखानों को बंद करना, बैंकिंग, वित्त और मुद्रा को समाप्त करना जैसे फैसले शामिल थे. इस दौरान ख़मेर रूज़ ने कई विरोधियों को जेल में डाल दिया या उनकी हत्यायें कर दी. इस दौरान कंबोडिया में भुखमरी, बीमारी, ओवरवर्क और निष्पादन से लाखों लोग मारे गए, जो कि लगभग एक चौथाई आबादी थी.

वियतनाम की मदद से 1979 में पोल पोट के शासन का अंत हुआ लेकिन खमेर रूज 1998 में पोल पोट की मौत तक भूमिगत संघर्ष करता रहा.