सऊदी कोर्ट ने पत्रकार खशोगी की हत्या के आरोपियों का मृत्युदण्ड जेल की सजा में पलटा

सऊदी अरब की एक अदालत ने सोमवार को पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में पांच आरोपियों को मौत की सजा को जेल की सजा में पलट दिया है. मीडिया संस्थान अल जज़ीरा ने सऊदी अरब की सरकारी मीडिया के हवाले से बताया है कि अदालत ने पांच लोगों को 20 साल की सजा दी और तीन अन्य को सात से 10 साल की सजा सुनाई है.

अक्टूबर 2018 में इंस्ताबुल, तुर्की में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास के अंदर 59 वर्षीय पत्रकार की 15 लोगों के एक दल ने हत्या की और उनके शव को टुकड़ों में काट डाला था. खशोगी की मंगेतर और अमेरिका ने इस हत्या के लिए सऊदी अधिकारियों को जिम्मेदार बताया था. इसके बाद सऊदी अरब कूटनीतिक संकट में फंस गया था और युवराज मोहम्मद बिन सलमान की छवि पर भी प्रभाव पड़ा था. बाद में सऊदी की जाँच में सामने आया कि सऊदी खुफिया विभाग के उप प्रमुख अहमद अल असिरी ने इस घटना को अंजाम दिया था. हालाँकि असिरी इस मामले में बरी कर दिए गए थे.

इससे पहले सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में पांच लोगों को दिसंबर 2019 में मृत्युदंड सुनाया गया था. हालाँकि आरोपियों ने कोर्ट में कहा था कि उन्होंने यह सब अपने उच्च अधिकारियों के कहने पर किया था.

कौन थे जमाल खशोगी

जमाल खशोगी का जन्म सऊदी अरब के पवित्र शहर मदीना में हुआ था. उनके दादा मोहम्मद खशोगी सऊदी अरब के संस्थापक शाह अब्दुल अजीज अल-सऊद के निजी डॉक्टर थे. अपनी स्कूली शिक्षा सऊदी में ही पूरी करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए थे. साल 1983 में अमेरिका की इंडिआना विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद खशोगी ने पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया. साल 2003 में जमाल खशोगी को सऊदी अरब के प्रमुख अखबार अल-वतन का संपादक बनाया गया था लेकिन अपने आलोचनात्मक विचारों की वजह से उन्होंने दो माह में ही यह पद छोड़ दिया.

अपने पत्रकारिता जीवन में खशोगी अपने क्रांतिकारी विचारों के लिए जाने जाते थे और उन्होंने कई बार सऊदी सरकार और धार्मिक नेताओं की आलोचना की थी. युवराज मोहम्मद बिन सलमान के मुखर आलोचक अपनी हत्या से पहले अमेरिका में निर्वासित जीवन जी रहे थे और अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में कॉलम लिख रहे थे जिसमें वे सऊदी सरकार की नीतियों की आलोचना किया करते थे.