ग्रीस के शरणार्थी शिविर में आग , हजारों शरणार्थी बेघर
ग्रीस के लेस्बोस द्वीप पर एक शरणार्थी शिविर में आग लगने के बाद हजारों शरणार्थी बेघर हो गए हैं. यहां लगभग 13,000 लोग सिर्फ 3,000 लोगों के लिए बने स्थान में रह रहे थे. मोरिया नाम का यह शिविर सीमा से अधिक लोगों के रहने के विवादों में रहा है. यूरोप के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर, लेस्बोस पर लंबे समय से हजारों शरणार्थी प्रवासी रह रहे हैं. इन लोगों ने युद्ध और आर्थिक कठिनाई से भागने के लिए सब कुछ जोखिम में डाल दिया है. खबरों के मुताबिक अभी तक किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है. अंतराष्ट्रीय मीडिया की खबरों के अनुसार शिविर के कुछ निवासी द्वीप के मुख्य शहर मायटिलीन में भागने में सफल रहे. जबकि अन्य शिविर के छोटे क्षेत्रों में अपने टेंट में ही रहे. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सभी प्रवासियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. ग्रीक अधिकारीयों के सामने अब शरणार्थियों को फिर से सुरक्षित स्थान पर रखने की समस्या खड़ी हो गयी है. कोरोना की वजह से स्थिति पहले से ही नाज़ुक बनी हुई है.

हालाँकि शिविर में काम कर रहे सहायताकर्मियों और अधिकारियों ने कहा है कि शिविर में क्वारंटीन किये गए 35 लोगों के एक समूह ने यह आग लगाई थी. ये लोग कोरोना पाज़ीटिव पाए जाने के बाद क्वारंटीन किये जाने से नाराज़ थे.ग्रीस के रिप्यूजी मामलों के मंत्री, नोटिस मितराची ने बुधवार शाम समाचार सम्मेलन के दौरान कहा कि जो जिम्मेदार हैं, वो लोग बख्शे नहीं जायेंगे. ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने कहा कि लेस्बोस के लिए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है.
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने कहा कि उसने अपने कर्मचारियों को मौके पर तैनात कर दिया है और ग्रीक अधिकारियों को सहायता की पेशकश की है. यूरोप के कई देशों ने भी इस शिविर में सहायता की पेशकश की है. हालाँकि ग्रीस का आरोप रहा है कि यूरोपीय देश, ग्रीस की शरणार्थी समस्या के प्रति उदासीन रहते हैं.
लेस्बोस तुर्की तट के करीब है, जो 2015-16 के दौरान यूरोप के लिए शरणार्थियों और प्रवासियों के आने-जाने का एक बड़ा जरिया रहा है. इस द्वीप पर शरणार्थियों और विरोधी मूल निवासियों के एक वर्ग के बीच झड़प और आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं. यहाँ इस साल मार्च में भी आग लगने से एक बच्चे की मौत हो गई थी. यहाँ एक कंटेनर में आग लग गई जिसका इस्तेमाल शरणार्थी परिवारों के लिए अस्थायी घर बनाने के लिए किया गया था. पिछले कुछ महीनों से ग्रीस के पडोसी देश तुर्की ने अपनी सीमाओं को खोलने का निर्णय लिया है ताकि शरणार्थी वहाँ से निकलकर यूरोप की ओर चले जाएं, और उसी समय से भारी संख्या में सीरियाई शरणार्थियों का ग्रीस में आगमन जारी है.