ऐतिहासिक – UAE के बाद बहरीन ने भी की इज़रायल से दोस्ती, ट्रम्प की कूटनीतिक जीत

अरब जगत के एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में आज बहरीन ने इज़रायल को एक राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी है. अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की मध्यस्थता के बाद यह समझौता हुआ है. ट्रम्प ने शुक्रवार को घोषणा की कि उन्‍होंने इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू और बहरीन के शाह हमद बिन अल खलीफा के साथ इस समझौते की बात की. इस बातचीत के बाद तीनों नेताओं ने एक 6 संयुक्‍त बयान जारी किया है जिसमें इस डील का ऐलान किया गया. ट्रम्प के दामाद जैरेड कशनर की इस डील में महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

उल्लेखनीय है कि ट्रम्प के प्रयासों द्वारा अगस्त में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने इज़रायल को मान्यता देते हुए राजनयिक सम्बंध स्थापित करने का एलान किया था. तब UAE ने कहा था कि इजरायल वेस्ट बैंक भूमि पर अपनी विवादास्पद योजना को रोकने पर सहमत हो गया है.

बहरीन का इज़रायल के साथ आने का मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि सऊदी अरब के साथ भी अब इज़रायल के सम्बंध औपचारिक हो सकते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि बहरीन बिना सऊदी अरब की सहमति के इतना बड़ा फ़ैसला नहीं ले सकता है. बहरीन और सऊदी अरब ने पहले ही इजरायली यात्री विमानों को अपने एयर स्‍पेस के इस्‍तेमाल की अनुमति दे दी है. माना जा रहा है कि फ़िलस्तीनी मुद्दे के व्यापक समाधान से पहले सऊदी अरब खुल कर इज़रायल के साथ नहीं दिखना चाहता. हालाँकि उम्मीद है कि अब ओमान, मोरक्को और कुवैत जैसे देश भी इज़रायल से सम्बंध शुरू कर सकते हैं.

इस समय अरब जगत में सुन्नी शासकों वाले देशों में ईरान का ख़तरा बढ़ रहा है. इसी कारण ये देश अपने सैन्य और कूटनीतिक सम्बंध बढ़ा रहे हैं. शिया बहुल बहरीन में सालों से सुन्‍नी अल खलीफा परिवार के शासक रहे हैं. बहरीन पर ईरान ने एक बार क़ब्ज़े का प्रयास भी किया था परंतु वह सफल नहीं हो सका. बहरीन के शासकों ने आरोप लगाया है कि ईरान उग्रवादियों को हथियार दे रहा है. इज़रायल ईरान का कट्टर शत्रु है वहीं अमेरिका और ईरान की दुश्मनी भी जग ज़ाहिर है. माना जा रहा है कि ईरान से निपटने के लिए बहरीन ने अमेरिका के कहने से इज़रायल के साथ हाथ मिलाया है.

ज़्यादातर अरब देश ये कहते हुए इज़रायल का बहिष्कार हैं कि वो फ़लीस्तीनी विवाद के निपटारे के बाद ही इज़रायल से संबंध स्थापित करेंगे.अब बहरीन ऐसा चौथा अरब देश बन गया है जिसने इजरायल को मान्‍यता दी है. इससे पहले मिस्र, जॉर्डन और यूएई ने इजरायल को मान्‍यता दी थी. हालाँकि इस समझौते का फ़िलस्तीनी नेताओं ने विरोध किया है. उनका कहना है कि इज़रायल के साथ सम्बंध रखना फ़िलिस्तीनी लोगों के साथ धोखा है.