शांति समझौते के बीच इज़रायल ने दागे ग़ाज़ा पर बम, हमास पर हमले का आरोप
बहरीन, यूएई और इज़रायल के बीच हुई डील के बाद फ़िलिस्तीनी संगठन हमास और इज़रायल के बीच संघर्ष तेज हो गया है. इज़रायली मीडिया में आई खबरों के मुताबिक़ फ़िलिस्तीन से इज़रायल पर पन्द्रह राकेट दागे गए जिनमें दो व्यक्ति घायल हो गए बदले में इज़रायल ने भी ग़ाज़ा पट्टी के फ़िलस्तीनी नियंत्रण वाले इलाक़ों में बमबारी की है.
ग़ाज़ा पट्टी पर हमास का नियंत्रण है जिसे इज़रायल, अमेरिका और यूरोपीय देश आतंकवादी संगठन मानते हैं वहीं हमास अपने आप को फ़िलिस्तीन की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाला संगठन कहता है. ग़ाज़ा के इज़रायली नियंत्रण वाले इलाक़ों में रहने वाले फ़िलस्तीनी लोगों पर साल 2007 से ही इज़रायल ने कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं. विश्व बैंक के अनुसार यहाँ लगभग बीस लाख फ़िलस्तीनी लोग हैं जिनमें से अधिकांश बेहद ग़रीबी में अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
फ़िलस्तीनी लोग चाहते हैं कि इज़रायल ग़ाज़ा और पश्चिमी तट के इलाक़ों से अपना नियंत्रण हटा ले. उनका यह मानना है कि यह उनके भविष्य में प्रस्तावित फ़िलस्तीनी राष्ट्र की भूमि है. इन इलाक़ों पर इज़रायल ने पिछले युद्धों में क़ब्ज़ा किया था. इज़रायल ने इन इलाक़ों में यहूदी बस्तियाँ बसानी शुरू कर दी हैं. इन बस्तियों को लेकर फ़िलस्तीन का आरोप है कि इससे यहाँ रहने वाले फ़िलिस्तीनियों की संख्या कम हो रही है जबकि यहूदी बढ़ रहे हैं.

अधिकांश अरब देश भी इज़रायल द्वारा फ़िलस्तीनी भूमि पर किए गए क़ब्ज़े का विरोध करते रहे हैं. चूँकि अधिकांश फ़िलस्तीनी मुस्लिम हैं तो मुस्लिम बिरादरी के नाम पर अरब देशों ने फ़िलस्तीन का न सिर्फ़ साथ दिया है बल्कि कई बार युद्ध भी किया है. यही नहीं अधिकांश मुस्लिम देशों के इज़रायल के साथ राजनयिक सम्बन्ध भी नहीं हैं.
लेकिन हाल के दिनों में अरब क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण बेहद तेज़ी से बदले हैं. शिया बहुल ईरान की बढ़ती सैन्य महत्वाकांक्षाओं और रूस, चीन का ईरान के साथ गुट बनाने से स्थिति बदल गयी है. सुन्नी सत्ता वाले देशों को ईरान, रूस, चीन के गुट और इज़रायल, अमेरिका के गुट में से किसी एक को चुनना है. बहरीन और यूएई अमेरिका के पुराने साथी हैं तो आने वाले दिनों में अगर ईरान से इनकी जंग होती है तो इन्हें अमेरिका और इज़रायल दोनों का साथ मिल सकता है.
हो सकता है कि इस कड़ी में बाक़ी अरब देश भी जुड़ें जैसे ओमान. सऊदी अरब भी इज़रायल को लेकर उतना आक्रामक नहीं है. समस्या है पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों के लिए. ये देश मुस्लिम जगत का नेतृत्व करने की मंशा रखते हैं इसलिए फ़िलस्तीनी लोगों का मुद्दा इनके लिए हमेशा से एक आसान रास्ता रहा है.
इन सब में फ़िलस्तीन के लोगों का भविष्य क्या होगा, कह नहीं सकते. हालाँकि यूएई ने कहा था कि इज़रायल ने वादा किया है कि वह वेस्ट बैंक के इलाक़े में अपनी बस्तियों में कमी लायेगा पर ग़ाज़ा पट्टी और हमास की समस्या तो जस की तस ही है.