सैन्य तख्तापलट के एक महीने बाद एनडॉ बने माली के अंतरिम राष्ट्रपति
सेवानिवृत्त कर्नल और पूर्व रक्षा मंत्री बाह एनडॉ ने माली के अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है. लगभग एक महीने पहले माली में एक सैन्य तख्तापलट के तहत निर्वाचित इब्राहिम बाउबकर कीता की सरकार को सेना ने सत्ता से बेदखल कर दिया था. माली की राजधानी बेमको में शुक्रवार को आयोजित एक समारोह के दौरान तख्तापलट के नेता कर्नल असिमी गोइता को भी उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई है.
70 वर्षीय एनडॉ ने 2014 में रक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया है और इससे पहले उन्होंने देश की वायु सेना का भी नेतृत्व किया है. उन्होंने कई सैन्य अधिकारियों, राजनीतिक नेताओं और राजनयिकों के सामने पद की शपथ ली है.
18 अगस्त के तख्तापलट के बाद, पश्चिम अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक गुट (ECOWAS) ने माली पर कई तरह के प्रतिबन्ध लगा दिए थे. माली पर लोकतंत्र बहाली का दबाव बन रहा था.

समस्या पुरानी है
माली कभी फ़्रांस का उपनिवेश था जो 22 सितंबर 1960 को फ़्रांस से स्वतंत्र हुआ. यहाँ काफी समय से राजनैतिक अस्थिरता का माहौल है. संयुक्त राष्ट्र और रूस बीते 7 साल से माली में राजनीतिक स्थिरता लाने की कोशिश कर रहे हैं. माली के राष्ट्रपति को लोकतांत्रिक रूप से चुना गया था और उन्हें फ्रांस और अन्य पश्चिमी देशों से व्यापक समर्थन प्राप्त है. इससे पहले 2012 में भी यहां सैन्य तख्तापलट हुआ था. तब से यहाँ फ़्रांस सैन्य रूप से शामिल रहा है.
संयुक्त राष्ट्र का एक मिशन जिसे MINUSMA के रूप में जाना जाता है, अप्रैल 2013 से माली में है. मार्च 2020 तक, इसके बैनर तले 13,500 से अधिक सैन्य कर्मियों को माली में तैनात किया गया था. जनवरी 2012 में माली के सरकारी बलों और टुआरेग विद्रोहियों के बीच लड़ाई भड़क जाने के बाद यह मिशन शुरू किया गया था. तीन साल बाद वर्ष 2015 में माली की सरकार और दो विभिन्न प्रथकतावादी गुटों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. टुआरेग विद्रोही माली के उत्तर में एक अलग देश की मांग कर रहे हैं.