अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच छिड़ा युद्ध, पूर्वी यूरोप में संकट
पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया के दो देशों अज़रबैजान और आर्मेनिया में भीषण युद्ध शुरू हो गया है. दोनों देश कॉकेशस क्षेत्र के विवादास्पद नागोरनो कोराबाख इलाक़े को लेकर लड़ रहे हैं. इस इलाक़े पर अज़रबैजान अपना दावा करता है लेकिन दोनों देशों के बीच 1994 में हुए एक युद्ध के बाद से यहाँ आर्मेनिया द्वारा समर्थित आर्मीनियाई अलगाववादियों का क़ब्ज़ा है. इन अलगाववादियों ने सोवियत संघ के विघटन के बाद नागोरनो कोराबाख को एक स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था. इन्हें आर्मीनिया की सेना का सीधा समर्थन है.
आर्मेनिया ने अपने यहाँ मार्शल ला घोषित कर दिया है. समाचार संस्था अलज़जीरा की एक खबर के मुताबिक़ उसने अज़रबैजान पर आरोप लगाया है कि वे लोग नागोरनो कोराबाख के नागरिक इलाक़ों पर हमला कर रहे हैं. फेसबुक पर एक बयान में, आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोलस पशिनियन ने कहा, “सरकार ने मार्शल लॉ की घोषणा करने का फैसला किया है” साथ ही उन्होंने अपने नागरिकों को “हमारी पवित्र मातृभूमि की रक्षा करने के लिए तैयार होने” के लिए कहा है.
इस बीच, अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने राष्ट्र को दिए गए एक संबोधन में कहा कि “अर्मेनियाई बमबारी के परिणामस्वरूप अज़रबैजानी सेना और नागरिक आबादी को नुकसान हुआ है “. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि जो लोग उनके देश से लड़ रहे हैं उन्हें गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे.

दोनों देशों के बीच संघर्ष का लम्बा इतिहास रहा है. अज़रबैजान के बीचोंबीच नागोरनो कोराबाख इलाक़ा है. जिस में एथिनिक आर्मेनियन ( ऐसे लोग जिनके पूर्वज आर्मेनिया से थे) लोग रहते हैं और एक स्वतंत्र देश की माँग करते हैं. इन्हें आर्मेनिया का समर्थन हासिल है.
आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच 1980 के दशक के अंत में संघर्ष की शुरुआत हुई थी और 1991 में सोवियत संघ के विघटन पर इसने युद्ध का रूप ले लिया था,साल 1994 में युद्धविराम से पहले इस लड़ाई में 30 हज़ार लोग मारे गए थे. आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच 1994 में युद्ध खत्म होने के बाद से ही नागोरनो कोराबाख इलाक़े पर आर्मीनियाई अलगाववादियों का कब्जा है. साल 2016 में भी दोनों देश इस मुद्दे पर युद्ध के मुहाने पर आ गए थे तब भी दोनों देशों के लगभग तीस सैनिक मारे गए थे.