आर्मेनिया ने कहा अज़रबैज़ान की मदद को तुर्की भेज रहा है सीरिया से लड़ाके
अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच चल रहे युद्ध के बीच अज़रबैजान ने आर्मेनिया के उस आरोप का खंडन किया है जिसमें कहा गया है कि “तुर्की ने अज़रबैजान का साथ देने के लिए सीरिया से लड़ाके भेजे हैं”. कुछ समाचार एजेंसियों ने रूस में आर्मेनिया के राजदूत वर्गन टोगनयन हवाले से खबर दी थी कि तुर्की द्वारा सीरिया से लगभग 4000 लड़ाके अज़रबैजान की तरफ़ से लड़ने को भेजे गए हैं. अज़रबैजान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि रविवार सुबह लड़ाई शुरू होने के बाद से कुल छह अज़रबैजान नागरिक मारे गए और 19 घायल हो गए हैं. वहीँ इस लड़ाई में नागोर्नो-कराबाख में तैनात आर्मीनिया समर्थित सैन्य गुट को भारी नुकसान हुआ है. सैन्य गुट के अधिकारियों ने बताया कि उसके 30 से अधिक सैन्यकर्मी मारे गए हैं और कम से कम 100 घायल हुए हैं.

दोनों देशों ने एक दूसरे पर भारी मात्रा में तोपखाने और टैंको का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है और कहा है कि एक दूसरे के नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है.
तुर्की के राष्ट्रपति रैचेप तैयब अर्दोआन ने रविवार को अजरबैजान के लिए तुर्की के समर्थन का वादा किया था और आर्मेनिया को “क्षेत्र में शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा” कहा था. वहीं अर्मेनियाई प्रधान मंत्री निकोल पशिनियन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि तुर्की संघर्ष में शामिल न हो. तुर्की और अज़रबैज़ान ने आर्मेनिया पर भाड़े के लड़ाके इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है. सोमवार को, तुर्की के रक्षा मंत्री हुलसी अकार ने कहा कि आर्मेनिया को “विदेश से लाए गए भाड़े के आतंकवादियों और आतंकवादियों को वापस भेजना चाहिए”
आर्मेनिया पारम्परिक रूप से रूस का मित्र देश है. अर्मेनिया और अज़रबैज़ान के इस युद्ध के बाद बड़ी कूटनीतिक स्थिति उत्पन्न हो गई है. सीरिया में लम्बे समय से चल रहे गृह युद्ध में तुर्की सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ लड़ रहे विद्रोहियों का साथ दे रहा है. जबकि असद की सरकार को रूस और ईरान का समर्थन हासिल है.