लेबनान और इज़रायल सीमा विवाद पर बात करने को राज़ी, क्या है लेबनान और इज़रायल विवाद
लेबनान और इज़रायल ने अमेरिका की मध्यस्थता बाद एक डील पर सहमति व्यक्त की है जिसका उद्देश्य दोनों देशों की सीमाओं पर सालों से चल रहे विवाद को समाप्त करना है. दोनों देश समस्या के समाधान के लिए एक फ्रेमवर्क पर सहमत हो गए हैं. गुरुवार को, लेबनान की संसद के स्पीकर नेबिह बेरी ने इस डील की जानकारी दी है. बेरी ने कहा कि “यह एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट है, और अंतिम नहीं है. लेबनान और इज़रायल दोनों ही देशों ने अमेरिका से सीमा विवाद पर मध्यस्थता के लिए आग्रह किया था”. उन्होंने कहा कि अमेरिका जल्द से जल्द एक समझौते के लिए कोशिश करेगा. वहीँ इज़रायल के ऊर्जा मंत्री ने पुष्टि की कि दोनों पक्ष अमेरिका की मध्यस्थता पर वार्ता करेंगे.

दोनों देशों का आपस में कोई राजनयिक संबंध नहीं है. दोनों देश पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में 860 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के इलाके को लेकर वार्ता करेंगे, यह इलाका इज़रायल के प्राकृतिक गैस क्षेत्रों के पास है. दोनों ही देश आपस में युद्ध लड़ चुके हैं. पिछले दिनों इज़रायल ने अमेरिका की मध्यस्थता के बाद अरब देशों से अपने सम्बन्ध सुधारे हैं. इज़रायल ने संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के साथ अपने राजनयिक सम्बन्ध स्थापति किये हैं.
लेबनान इस समय बेहद बुरे आर्थिक दौर से गुज़र रहा है. पिछले दिनों हुए देश की राजधानी बेरुत के एक बंदरगाह पर हुए एक भीषण विस्फोट के बाद देश की राजनैतिक और आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह कर्जे में डूबी हुई है.
क्या है लेबनान और इज़रायल विवाद
साल 1948 से ही अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही इज़रायल के अरब देशों के साथ सम्बन्ध अच्छे नहीं रहे. लेकिन यहाँ कुछ घटनाओं को उल्लेखित करना आवश्यक है. साल 1978 में एक इज़रायली बस को कुछ फिलस्तीनी आतंकवादियों ने अगवा कर लिया. ये आतंकवादी फिलिस्तानी मुक्ति संगठन (पीएलओ) के लोग थे. इज़रायली बलों ने इन आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही की, लेकिन इस संघर्ष में कुल 38 नागरिक मारे गए, जिनमें 13 बच्चे शामिल थे. इसमें 71 अन्य घायल हो गए और अपहरण में शामिल 11 अपराधियों में से 9 मारे गए थे. पीएलओ के हमले का एक मकसद मिस्र-इजरायल की शांति वार्ता को पटरी से उतारना था.
तब पीएलओ के कुछ ठिकाने दक्षिणी लेबनान में थे. इस घटना के तीन दिन बाद इज़रायल ने दक्षिणी लेबनान में PLO ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन लिटानी शुरू किया. इज़रायल ने लेबनान पर इज़रायल के दुश्मनों को पनाह देने का आरोप लगाया. इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 1,100-2,000 लेबनानी और फिलीस्तीन, 20 इजरायल लोग मारे गए वहीँ 100,000 से 250,000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा. पीएलओ के लोग भी इस इलाके से भाग गए. दक्षिणी लेबनान के इन इलाकों पर इज़रायली सेना का कब्ज़ा हो गया. इस घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र हरकत में आया और सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 425 और 426 पारित किया जिसके तहत ये कहा गया कि इज़रायली सेना इन इलाकों को छोड़ देगी. इन फैसलों को सुनिश्चित करने के लिए लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल (UNIFIL) बनाया गया था. लेकिन इज़रायल ने यह इलाका पूरी तरह खाली नहीं किया.
इस युद्ध के बाद भी पीएलओ समाप्त नहीं हुआ और उसने लेबनान से इज़रायल पर हमले करने जारी रखे. इसी बीच लेबनान में गृह युद्ध शुरू हो गया. यह युद्ध मुस्लिमों और ईसाईयों के बीच हुआ. इसमें इज़रायल ने ईसाई ताकतों का साथ दिया. साल 1982 में इज़रायल ने लेबनान पर चढ़ाई कर दी. जून 1982 में पीएलओ ने लेबनान से अपनी अधिकांश सेना वापस ले ली थी. और इज़रायल के पास लेबनान के कुछ और हिस्से आ गए.
हिज्बुल्लाह
इसके बाद पैदा हुआ हिज्बुल्लाह. हिज्बुल्लाह का अरबी में अर्थ होता है ‘भगवान का दूत’. इसकी स्थापना 1982 में इज़रायल द्वारा लेबनान पर हमले के बाद ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड द्वारा की गई थी. इस समूह को लेबनान के शिया समुदाय का समर्थन प्राप्त है. हिज़्बुल्लाह का उद्देश्य इज़रायल को लेबनान से बाहर निकलना था. हिज़्बुल्लाह ने इज़रायल पर कई तरह से हमले किये. अब हिज़्बुल्लाह एक ताकतवर संगठन बन गया है. सीरिया में गृह युद्ध के समय इसने राष्ट्रपति बसर अल असद की सहायता के लिए अपने लड़ाकों को भेजा. लेबनान में हिज्बुल्लाह और उसके सहयोगियों की पकड़ संसद और सरकार में पहले से कहीं अधिक मजबूत हो गई है. हालाँकि अमेरिका और कई अन्य देशों ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
हिज़्बुल्लाह और इज़रायल के बीच साल 2006 में भी एक युद्ध हुआ. तब हिज़्बुल्लाह की ताकत का पता दुनिया को चला. हिज़्बुल्लाह ने इज़रायल पर राकेट से लगातार हमले किये. इस युद्ध के परिणाम बड़े मिले जुले थे, ईरान और सीरिया ने हिज़बुल्लाह की लिए जीत की घोषणा की, जबकि इज़रायल ने घोषणा की कि युद्ध इजरायल ने जीता है. पिछले सितंबर में हिजबुल्लाह ने भी इज़रायल के नियंत्रण वाले क्षेत्रों के अंदर एक सैन्य वाहन पर हमला करके बेरूत में अपने एक कार्यालय पर एक इजरायली ड्रोन हमले का बदला लिया था.