किर्गिस्तान में विरोध प्रदर्शन जारी , प्रधान मंत्री बोरोनोव ने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया
किर्गिस्तान के प्रधान मंत्री कुबाटबेक बोरोनोव ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. उनका यह फैसला केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा रविवार को हुए संसदीय चुनाव को रद्द करने के बाद आया है. किर्गिस्तान रविवार को संसदीय चुनाव के नतीजों के बाद से भारी विरोध प्रदर्शन जारी है. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चुनाव में वोट खरीदे गए थे. यही नहीं करीब दो हजार लोगों ने पूर्व राष्ट्रपति अलमाजबेक अतमबयेव को जेल से छुड़ा लिया है. वे भ्रष्टाचार के केस में ट्रायल के चलते हिरासत में हैं. वहीं, देश के राष्ट्रपति सूरनबे जीनबेकोव का दावा है कि देश पर अभी भी उनका नियंत्रण है. अतमबयेव और सूरनबे के सम्बन्ध पहले अच्छे थे लेकिन 2017 में सूरनबे के चुनाव जीतने के बाद दोनों के बीच दूरी बढ़ गई, इसके बाद अतमबयेव को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेज दिया गया.
लोगों का आरोप है कि चुनाव में वोट खरीदे गए थे जिसके विरोध में आक्रामक प्रदर्शन जारी हैं. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में करने के लिए पानी के कैनन, स्टन ग्रनेड और आंसू गैस का इस्तेमाल किया है. हालत इतने बिगड़ गए कि लोगों की भीड़ देश की संसद और प्रेसिडेंशल ऑफिस में दाखिल हो गई. यहां तक कि लोग राष्ट्रपति के दफ्तर में तक घुस आये थे.

किर्गिस्तान राजनीतिक उथल-पुथल के लिए बदनाम रहा है. पिछले 15 वर्षों में, देश ने दो क्रांतियों का सामना किया है – ये 2005 और 2010 में हुई थीं.
साल 2010 की क्रांति में देश ने उज़्बेकी बहुल दक्षिण इलाके में जातीय संघर्ष को झेला जिसमें 400 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई और कई हजारों विस्थापित हुए. किर्गिज़ समाज उत्तर और दक्षिण इलाकों के बीच बंटा हुआ है और इनके बीच जातीय संघर्ष सालों से चला आ रहा है. दक्षिण के लोग सरकार और प्रशासन में बेहतर प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं.
1993 में लागू किया गया किर्गिस्तान का संविधान एक लोकतांत्रिक एकात्मक गणराज्य के रूप में सरकार के रूप को परिभाषित करता है. सरकार में एक राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री शामिल होते हैं और देश में संसदीय व्यवस्था है और संसद में केवल एक सदन है. देश की न्याय व्यवस्था में एक सर्वोच्च न्यायालय, स्थानीय अदालतें और एक मुख्य सरकारी अभियोजक शामिल हैं. किर्गिस्तान दुनिया के उन पचास देशों में शामिल है जिनमें भ्रष्टाचार सबसे अधिक है.