रूस की मध्यस्थता के बाद आर्मेनिया और अज़रबैजान युद्ध विराम के लिए तैयार
आर्मेनिया और अज़रबैजान युद्ध विराम के लिए तैयार हो गए हैं. दोनों देश रूस की राजधानी मॉस्को में चली दस घंटे की वार्ता के बाद नागोरनो कोराबाख विवाद पर “ठोस” वार्ता करने के लिए सहमत हो गए हैं. रूस इस संघर्ष में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है. यह युद्ध विराम आज रात आधी रात से लागू होगा. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस बात की जानकारी दी है. लावरोव ने कहा कि रेड क्रॉस इस युद्ध के मानवीय ऑपरेशन में एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करेगा. आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच 27 सितम्बर से शुरू हुए युद्ध में अब तक लगभग 300 लोग मारे गए हैं.
अल जज़ीरा की एक खबर के अनुसार लावरोव ने यह नहीं बताया कि दोनों देशों के बीच वार्ता के क्या मुख्य बिंदु क्या होंगे. आर्मेनिया के विदेश मंत्री ज़ोहराब मन्नत्सक्यानन और अज़रबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बेयारमोव ने पत्रकारों से बात नहीं की.

बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हाल के वक्त में आर्मीनिया और अज़रबैजान, दोनों ही देश अपने हथियारों का ज़खीरा बढ़ाने में जुटे थे, लेकिन आर्मीनिया के मुक़ाबले अज़रबैजान ने कहीं अधिक मात्रा में हथियार ख़रीदे हैं, जिनमें ड्रोन ख़ासकर शामिल हैं. ऐसी भी खबरें हैं कि अज़रबैजान ने तुर्की से हथियार खरीदे हैं.
नागोरनो कोराबाख विवाद
दोनों देशों के बीच संघर्ष का लम्बा इतिहास रहा है. अज़रबैजान के बीचोंबीच नागोरनो कोराबाख इलाक़ा है. जिस में एथिनिक आर्मेनियन ( ऐसे लोग जिनके पूर्वज आर्मेनिया से थे) लोग रहते हैं और एक स्वतंत्र देश की माँग करते हैं. इन्हें आर्मेनिया का समर्थन हासिल है. हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, नागोर्नो-करबाख को अजरबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है.
आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच 1980 के दशक के अंत में संघर्ष की शुरुआत हुई थी और 1991 में सोवियत संघ के विघटन पर इसने युद्ध का रूप ले लिया था,साल 1994 में युद्धविराम से पहले इस लड़ाई में 30 हज़ार लोग मारे गए थे. आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच 1994 में युद्ध खत्म होने के बाद से ही नागोरनो कोराबाख इलाक़े पर आर्मीनियाई अलगाववादियों का कब्जा है. वे लोग इसे “रिपब्लिक आफ अर्कश” कहते हैं. साल 2016 में भी दोनों देश इस मुद्दे पर युद्ध के मुहाने पर आ गए थे तब भी दोनों देशों के लगभग तीस सैनिक मारे गए थे. संयुक्त राष्ट्र और विश्व के कई देश नागोरनो कोराबाख को अज़रबैजान का हिस्सा मानते हैं.