एक दिन भी नहीं चला अज़रबैजान और आर्मेनिया का युद्ध विराम, दोनों तरफ़ से नागरिक ठिकानों पर बमबारी
अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच युद्धविराम एक दिन भी नहीं चल पाया है. दोनों देशों ने एक दूसरे पर युद्धविराम के उल्लंघन के आरोप लगाए हैं. एक ही दिन पहले रूस की मध्यस्थता के बीच मॉस्को में दोनों देशों की दस घंटा लम्बी वार्ता हुई थी. जिसके बाद रूस के विदेश मंत्री ने मीडिया से कहा था कि दोनों देश आधी रात से युद्धविराम करने को सहमत हो गए हैं.
खबरों के अनुसार दोनों हाई देशों ने एक दूसरे पर युद्ध विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया और कहा कि उनके इलाक़ों में बमों से हमला किया गया है. रविवार की सुबह अल जज़ीरा की एक खबर में अज़रबैजान के हवाले से बताया गया है कि उसके दूसरे सबसे बड़े शहर गंजा में आर्मेनिया की बमबारी से नौ लोग मारे गए हैं. उधर आर्मेनिया ने गंजा को निशाना बनाए जाने से साफ़ इनकार किया है और अज़रबैजान पर रात के दौरान नागोर्नो-करबाख की राजधानी स्टेपनाकार, साथ ही अन्य शहरों में भी हमले करने का आरोप लगाया है.

दोनों देशों के बीच का यह युद्ध गम्भीर शक्ल लेता जा रहा है. बीबीसी के हवाले से खबर है कि नार्गोन-काराबाख के विदेश मंत्रालय ने अज़रबैजान पर आरोप लगाया है कि उसने युद्ध विराम वार्ता का इस्तेमाल अपनी फ़ौजी तैयारी के लिए किया है.
उल्लेखनीय है कि नार्गोन-काराबाख पर आर्मेनियाई जाति वाले लोगों का शासन है जिसे आर्मेनिया का समर्थन है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन क्षेत्र को अज़रबैजान का ही हिस्सा माना जाता है लेकिन यहाँ रहने वाली ज्यादातर आबादी आर्मीनियाई लोगों की है. ये लोग अज़रबैजान के साथ नहीं रहना चाहते हैं और अज़रबैजान के साथ आर्मीनिया की सेना के सहयोग से संघर्ष कर रहे हैं.
वहीं तुर्की ने एक बार फिर से अज़रबैजान की मदद करने की बात कही है. तुर्की ने कहा है कि वह तब तक अज़रबैजान की मदद करेगा जब तक नार्गोन-काराबाख पर अज़रबैजान का क़ब्ज़ा नहीं हो जाता.