म्यांमार में कचिन विद्रोहियों ने सेना का हेलिकॉप्टर मार गिराया, कौन हैं कचिन विद्रोही

म्यांमार के एक विद्रोही गुट ने सेना के एक हेलिकॉप्टर को मार गिराने का दावा किया है. कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी नाम के इस गुट ने म्यांमार की सैनिक सरकार के विरुद्ध उत्तरी म्यांमार के कचिन प्रांत में संघर्ष छेड़ रखा है. यह गुट कई वर्षों से कचिन प्रांत की स्वायत्तता की माँग कर रहा है.

कचिन संकट

कचिन म्यांमार की एक जनजाति है जो मूलतः कचिन प्रांत में रहती है. कचिन म्यांमार के उत्तर में एक प्रांत है जिसकी पहाड़ियों की सीमा चीन से लगी है.

कचिन में जनजातीय आबादी के अलावा अधिकतर ईसाई लोग हैं जो 1961 के बाद से इस बौद्ध राष्ट्र में अपनी अधिक स्वायत्तता के लिए लगातार संघर्ष कर रही है. कई मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि ये लोग भी ठीक रोहिंग्या मुसलमानों की तरह म्यांमार में जातीय संघर्ष का शिकार हुए हैं. साल 2011 में कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी और सेना के बीच संघर्ष विराम टूटने के बाद से छिटपुट लड़ाइयां होती रही हैं.

बौद्ध बहुल म्यांमार में कचिन लोगों का कहना है कि उन पर म्यांमार में हमेशा अत्याचार हुए हैं इसलिए उन्होंने अपने अलग देश की मांग की और हथियारों से लैस अपनी अलग कचिन इंडिपिंडेंस आर्मी (केआईए) का गठन किया. इस सशस्त्र सेना ने पांच दशक पहले लैजा और आसपास के बडे क्षेत्र को कब्जे में ले लिया था. इस क्षेत्र पर कचिन का कब्जा था और उसे अपने तरीके से काम करने की आजादी थी. 2011 तक केआईए और म्यांमार की तत्कालीन सैन्य सरकार के बीच संघर्ष विराम की स्थिति थी. लेकिन 2011 में संघर्ष विराम ख़त्म हो गया. तब विद्रोहियो ने आरोप लगाया था कि म्यांमार की सेना ने उसके कब्जे वाले क्षेत्र में तबाही मचाई है.

क्या है म्यांमार की स्थिति

फ़िलहाल म्यांमार में अशांति का माहौल है. म्यांमार में वहां की सेना ने बीते 1 फरवरी को स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची को हिरासत में लेकर तख्तापलट किया था. तख्तापलट के खिलाफ जारी प्रदर्शन के बीच यहां खूनी संघर्ष जारी है. सेना पर आम प्रदर्शनकारियों को मारे जाने के आरोप लग रहे हैं.

तख्तापलट के बाद से ही कचिन विद्रोहियों ने म्यांमार की सेना पर हमले तेज़ कर दिए हैं.

क्यों हुआ तख्तापलट

कई वर्षों से हिरासत में रहीं नेत्री आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) ने 2020 में राष्ट्रीय चुनाव में जीत हासिल की. सेना ने यह कहते हुए चुनाव नतीजों को खारिज कर दिया कि चुनाव में धांधली हुई है. हालांकि म्यांमार चुनाव आयोग ने सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था. सेना संसद में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती थी जबकि आंग सान सू की ने लोगों से वादा किया था कि वो संविधान में सुधार करेंगी और म्यांमार में लोकतंत्र को अमली जामा पहनाएंगी. लेकिन सेना इसके खिलाफ है और अब 1 फरवरी 2021 को म्यांमार में तख्तापलट हो गया. जिसके बाद से लोकतंत्र समर्थक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जिन्हें दबाने के लिए सेना बल का प्रयोग कर रही है.