इज़रायल में फ़िलस्तीनियों पर पुलिस हिंसा जारी, कई घायल

इज़रायल में एक बार फिर हिंसक झड़पें होने की खबरें आयी हैं. इज़रायल की राजधानी येरुशेलम में मौजूद अल-अक्सा मस्जिद और पुराने यरुशलम शहर में बीती दो रातों से हिंसा हो रही है. इसराइली पुलिस और फ़िलिस्तीनियों के बीच हुई इन झड़पों में अब तक दर्जनों फ़लस्तीनी घायल हुए हैं.

विवाद की शुरुआत तब हुई जब इजरायल की अदालत ने 2 मई को अपने फैसले में पूर्वी येरुशेलम के शेख जर्राह इलाक़े से फ़िलस्तीनी परिवारों को अपने घरों को खाली करने के लिए कहा था जिसमें वे पीढ़ियों से रह रहे हैं. इज़रायली सरकार यहाँ यहूदियों को बसाना चाहती है. नए बसने वाले यहूदियों ने पहले से बसे फ़िलस्तीनियों से जगह ख़ाली करने के लिए अदालत में मुक़दमा दायर किया है. इस इलाके में बच्चों सहित कम से कम 500 फिलिस्तीनियों को अपने घर खोने का खतरा है. हालाँकि इज़रायल पहले से ही कुछ परिवारों को बेदखल करने के बाद इस इलाके में यहूदी बस्तियों का निर्माण कर चुका है.

अदालत के ताज़ा फ़ैसले के ख़िलाफ़ फ़िलस्तीनी विरोध कर रहे हैं. इसी के चलते शुक्रवार को यहाँ कीं अल अक्सा मस्जिद में करीब 70 हजार की भीड़ इकट्ठा हो गई थी. नमाज के बाद अचानक हिंसा शुरू हो गई. खबरों के अनुसार पुलिस ने भीड़ पर सीधे रबर बुलेट चलाई, इससे ज्यादातर नमाजियों के चेहरे और आंखों में चोट आई है. इससे पहले के शुक्रवार को भी पुलिस के साथ संघर्ष में दो फलस्तीनियों की मौत हो गई थी.

क्या है विवाद

लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और मिस्र के बीच के क्षेत्र को साल 1947 से पहले फ़िलिस्तीन कहा जाता था और यह ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था. इस क्षेत्र में मुस्लिम, यहूदी और ईसाई तीनों धर्म के लोग रहा करते थे. धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर येरूसलम भी इस इलाक़े में स्थित है.

यहूदियों के लिए यह इलाक़ा बेहद पवित्र माना जाता है. द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब पूरी दुनिया में यहूदी अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों से परेशान थे तो उन्होंने एक नया “यहूदी देश” बनाने की सोची.

अब ज़रा पीछे चलते हैं , साल 1917 में जब प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था और ऑटमन साम्राज्य हारने की कगार पर था, तभी ब्रिटेन के विदेश मंत्री सर आर्थर बैलफॉर ने कहा कि हम यहूदियों को युद्ध खत्म होने के बाद फिलिस्तीन में बसाएँगे. उन्होंने कहा कि हम यहूदियों के लिए एक राष्ट्र बनाने में उनकी मदद करेंगे. इस घोषणा को बैलफॉर डिकलेरेशन के नाम से जाना जाता है. यहूदियों को पहली बार अपने लिए एक देश का सपना सच होता दिखा.

पहले विश्व युद्ध के बाद बड़ी संख्या में फिलिस्तीन में यहूदी शरण लेने लगे, यहां इस समय यहूदियों की कुल आबादी सिर्फ 3 फीसदी थी, लेकिन अगले तीस साल में यह बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंच गई. एक तरह से यहूदियों ने इसे अपना घर मान लिया और ब्रिटेन का वादा तो पहले से ही था. इसी बीच दूसरा विश्व युद्ध हो गया. जर्मनी से लाखों यहूदी फिलिस्तीन की ओर भागने लगे, क्योंकि उन्हें लगने लगा था अगर हिटलर के प्रकोप से जीवित रहना है तो हमें अपने ही देश जाना होगा.

लेकिन तब तक फ़िलिस्तीन में मुस्लिम अधिक थे और अभी तक यह आधिकारिक रूप से देश बना भी नहीं था. ब्रिटेन ने फ़िलिस्तीन को 1947 में आज़ादी देने की बात की. दिक्कत ये हुई कि दोनों समुदायों मुस्लिम और यहूदियों ने इसे अपना अपना देश मान लिया और झगड़ा शुरू हो गया और यह मामला संयुक्त राष्ट्र में पहुँचा.

1947 में यूएन ने प्रस्ताव दिया कि इस जगह को दो देशों में बांट दिया जाये – एक हिस्सा था यहूदी राज्य और एक था अरब राज्य. और इस तरह साल 1948 में इजराइल एक देश बनकर आ गया. तब यहाँ लगभग साढ़े छः लाख यहूदी थे. लेकिन अभी भी एक बड़ी समस्या थी येरूसलम क्योंकि यहां आधी आबादी यहूदियों की थी और आधी आबादी मुसलमानों की. इसलिए यूएन ने फैसला दिया कि येरूसलम को अंतर्राष्ट्रीय सरकार के द्वारा चलाया जाएगा. इस समय तक इज़रायल राष्ट्र को जो ज़मीन दी गयी थी उसमें यहूदी और मुस्लिम दोनों बस्तियाँ थीं.

लेकिन इज़रायल के आस पास के देशों को यह फ़ैसला रास नहीं आया. एक ही साल के अंदर 1948 में अरब देशों मिस्र, जॉर्डन, इराक़ और सीरिया ने नए बने देश इज़रायल पर हमला कर दिया. इसे पहला अरब इज़रायल युद्ध भी कहा जाता है. यह युद्ध अरब देशों के लिए घातक साबित हुआ. नए बने देश इज़रायल ने न सिर्फ़ अदम्य साहस दिखाकर अरब सेना से अपने देश को बचाया बल्कि जो भूमि फ़िलिस्तीन राष्ट्र के लिए निर्धारित थी उस पर भी क़ब्ज़ा कर लिया. यही नहीं इज़रायल ने आधे येरूसलम पर भी क़ब्ज़ा कर लिया.

अब आइ असली मुसीबत. इज़रायल और इज़रायल के क़ब्ज़े

वाली ज़मीन में रहने वाले अरब मुस्लिम शरण के लिए भागने लगे. चूँकि उनको जो ज़मीन फ़िलस्तीन देश के लिए मिलीं थी उस पर तो इज़रायल ने क़ब्ज़ा कर लिया था. सिर्फ़ दो इलाक़े ऐसे थे जहाँ पर वे लोग शरण पा सके- ग़ज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक. 1948 के युद्ध में वेस्ट बैंक पर जॉर्डन का नियंत्रण हो गया था.

साल 1967 में एक बार फिर से अरब देशों और इज़रायल में युद्ध हुआ. यह युद्ध छः दिवसीय युद्ध के नाम से जाना जाता है. इस युद्ध में अरब देशों की हार के बाद इज़रायल ने फिर से वेस्ट बैंक और ग़ज़ा पर क़ब्ज़ा कर लिया.