फ़्रांस में “सैनिकों” ने दी गृहयुद्ध की चेतवानी, सरकार पर लगाया इस्लामी कट्टरपंथ पर नरम होने का आरोप
फ़्रांस में कई सैनिकों ने अपनी पहचान जारी किये बिना सरकार को पत्र लिखकर गृह युद्ध की चेतावनी दी है. यह पत्र, रविवार देर रात दक्षिणपंथी वालुरस एक्टुलेस पत्रिका की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है. हालाँकि विशेषज्ञों को लगता है कि यह पत्र अज्ञात सैनिकों की एक छोटी संख्या द्वारा लिखा गया है और फ़्रांस की सेना का इससे कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है. इस पत्र में फ्रांस सरकार पर कट्टरपंथी मुसलमानों को रियायत देने का आरोप लगाया गया है. पत्र में लिखा गया है कि यह हमारे देश के अस्तित्व के लिए है. इसके साथ ही कहा गया है कि यह पत्र उन अनाम जवानों के लिए लिखा गया है, जिन्होंने जन समर्थन मांगा है. ज़ाहिर है फ़्रांस की सरकार इस पत्र से खुश नहीं है, फ्रांस में सेना के जवानों पर धर्म और राजनीति पर सार्वजनिक राय देने पर प्रतिबंध है.
इस पत्र को जनता द्वारा हस्ताक्षरित किया जा सकता है, जिसमें वैलेरस एक्टुएल्स ने कहा है कि सोमवार दोपहर तक 160,000 से अधिक लोग ऐसा कर चुके थे.
लेकिन संवेदनशील बात यह है कि पत्र में लगभग 1000 सैन्य महिलाओं और पुरुषों ने अपने नाम दिया है, इसमें 20 रिटायर्ड जनरल भी शामिल हैं. इस पत्र में कट्टर पक्षधरों को देश में धार्मिक समुदायों के बीच विभाजन की लकीर खींचने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. कहा गया है कि इस्लामिक कट्टरता पूरे देश पर कब्जा कर रही है. इस पत्र को सबसे पहले 21 अप्रैल को फ्रांस में हुए असफल तख्तापलट के 60 साल पूरा होने पर छापा गया था. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने कहा कि ये चिंता का समय है, फ्रांस जोखिमों के बीच फंसा हुआ है. दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन (Marine Le Pen) ने पूर्व जनरलों समर्थन किया है. ले पेन अगले साल फ्रांस में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए उम्मीदवार भी हैं.

पत्र में कहा गया है – “हम आपके जनादेश को बढ़ाने या दूसरों पर विजय प्राप्त करने की बात नहीं कर रहे हैं. हम अपने देश के अस्तित्व, अपने देश के अस्तित्व के बारे में बात कर रहे हैं.” सैनिकों ने अपने आप को “जेनेरेशन आफ फायर” कहा है. पत्र में आगे कहा गया है – “अगर एक गृहयुद्ध छिड़ जाता है, तो सेना अपनी धरती पर ही व्यवस्था बनाए रखेगी … फ्रांस में गृहयुद्ध पनप रहा है और आप इसे पूरी तरह से जानते हैं”. इस पत्र के लेखकों ने ख़ुद को सेना की युवा पीढ़ी का हिस्सा बताते हुए कहा है कि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान, माली और सेंट्रल अफ़्रीकन रिपब्लिक में अपनी सेवाएँ दी हैं या वे घरेलू आतंक-रोधी अभियानों में शामिल रहे हैं. वे लिखते हैं, “उन्होंने कट्टर इस्लाम को ख़त्म करने के लिए अपनी चमड़ी दी और आप हमारी धरती पर रियायत दे रहे हो.”
पत्र में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों, उनकी सरकार और सांसदों को कई घातक खतरों की चेतावनी दी गई है. इसमें कहा गया है कि इस्मामवाद और फ्रांस के शहरों के आसपास अप्रवासियों की बस्ती बनना देश के लिए खतरा साबित हो सकता है. हस्ताक्षरकर्ताओं ने फ्रांस में समुदायों को विभाजित करने के लिए ‘एक खास नस्ल’ को दोष दिया है. कहा गया है कि ये लोग फ्रांसीसी इतिहास की मूर्तियों और अन्य पहलुओं पर हमला करके ‘नस्लीय युद्ध’ छेड़ना चाहते हैं.
क्या कहा फ़्रांस की सरकार ने
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार, गृह मंत्री गेराल्ड डार्मानिन ने नए पत्र को ‘कच्ची पैंतरेबाज़ी’ बताया है और इस पर हस्ताक्षर करने वाले अज्ञात लोगों को कहा है कि उनमें ‘साहस’ की कमी है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन की सरकार ने रोष के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की है. हालांकि, धुर-दक्षिणपंथी नेता और अगले साल होने वाली राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवार मेरिन ले पेन ने अप्रैल में 1,000 जवानों और महिलाओं के समर्थन से प्रकाशित हुए पत्र को सही बताया था.