नेपाल में सियासी ड्रामा ख़त्म, ओली एक बार फिर प्रधानमंत्री

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली एक बार फिर से नेपाल के प्रधानमंत्री बैन गए हैं. इससे पहले तीन दिन तक नेपाल की ओली विरोधी राजनीतिक दल अपने लिए बहुमत का बंदोबस्त नहीं कर पाये थे. इसलिए राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने केपी शर्मा ओली को एक बार फिर से देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया.

नेपाल में चले नाटकीय उठापटक के बाद भी मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस की ओर से वैकल्पिक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं हो सका. हालाँकि पिछले सप्ताह हुए विश्वास मत में ओली हार गए थे लेकिन क्यूँकि विपक्ष सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं जुटा पाया तो वे तीन दिन बाद फिर से नेपाल के पूर्ण अधिकार संपन्न प्रधानमंत्री बन गए. अब नेपाली सम्विधान के अनुसार उन्हें तीस दिन में बहुमत सिद्ध करना होगा.

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नेपाल के चुनाव में अभी दो वर्ष का समय है और आने वाले दिनों में ओली अपनी स्थिति मजबूत बना सकते हैं. इस संकट की शुरुआत पिछले साल हुई जब 20 दिसंबर को राष्ट्रपति भंडारी ने सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के भीतर चल रहे सत्ता संघर्ष के बीच सदन को भंग कर दिया और 30 अप्रैल और 10 मई को प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर नए चुनाव कराने की घोषणा की. सदन को भंग करने के ओली के कदम का उनके प्रतिद्वंद्वी प्रचंड के नेतृत्व में एनसीपी के एक बड़े हिस्से ने विरोध किया. फरवरी में देश की सर्वोच्च अदालत ने ओली द्वारा एक झटके में भंग सदन को बहाल कर दिया, जो चुनावों की तैयारी कर रहे थे.

खड़ग प्रसाद शर्मा ओली जो के पी शर्मा ओली के नाम से जाने जाते हैं नेपाल के 41 वें प्रधानमंत्री हैं. वे नेपाल के नए सम्विधान के के अस्तित्व में आने के बाद बने पहले प्रधानमंत्री हैं. कम्युनिस्ट पार्टी से सम्बन्ध रखने वाले ओली की शिक्षा दसवीं तक है. वे आर्थिक अभाव में आगे नहीं पढ़ पाए. ओली जिस कम्युनिस्ट पार्टी से सम्बन्ध रखते हैं उसकी चीन से नज़दीकियाँ जग ज़ाहिर हैं. ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही चीन और नेपाल काफ़ी नज़दीक आ गए हैं.