कौन बनेगा ईरान का अगला राष्ट्रपति, कल होने हैं चुनाव

ईरान में राष्ट्रपति चुनाव सम्पन्न होने वाला है और इस बार यह चुनाव दिलचस्प होने वाला है. अनुमान है कि अति रूढ़ीवादी मौलवी इब्राहिम रईसी इस चुनाव में आसानी से जीत हासिस कर सकते हैं. हालांकि प्रत्याशी तय करने वाली ईरान की सर्वोच्च संस्था गार्जियन काउंसिल का कहना है कि प्रत्याशियों के बीच ये राजनीतिक लड़ाई इतनी आसान नहीं होने वाली है. उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की देखरेख में मौलवियों और न्यायविदों के पैनल गार्जियन काउंसिल ने केवल सात उम्मीदवारों को मंजूरी दी है. हालाँकि उम्मीदवारों में रूढ़िवादियों का बोलबाला है. अफवाह है कि गार्जियन काउंसिल ने सुधारवादियों और नरमपंथियों को चुनावी संघर्ष में आने से पहले ही रोक दिया गया है.

गार्जियन काउंसिल कानूनविदों और मौलानाओं की एक संस्था है जिसके सदस्य चुने हुए नहीं होते हैं. चुनावों में ज्यादा मतदाताओं के वोट डालने की उम्मीद नहीं है.परिषद ने जब करीब 600 उम्मीदवारों में से सिर्फ सात को चुनाव लड़ने की स्वीकृति दी, तब कई मतदाता निराश हो गए. जिन लोगों को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया उनमें संसद के पूर्व स्पीकर अली लारीजानी भी थे.

इस देश में हर चार साल में चुनाव होते हैं. अगर पहले दौर के मतदान में किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल नहीं होते, तो दूसरे दौर में सबसे अधिक वोट पाने वाले दो उम्मीदवारों के लिए मतदान होता है. आइए जानते हैं कौन हैं इस चुनाव के प्रमुख उम्मीदवार.

इब्राहिम रईसी

राष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों में से एक इब्राहिम रईसी हैं. उन्हें मौजूदा राष्ट्रपति हसन रूहानी के उत्तराधिकारी के रूप में सबसे आगे देखा जा रहा है. उनकी जीत का रास्ता साफ लग रहा है. रईसी ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख हैं. वह बेहद कट्टरपंथी माने जाते हैं.

इब्राहिम रईसी ने 2017 में हसन रुहानी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था, जिसमें वो हार गए थे. उस चुनाव में रुहानी ने चेतावनी दी थी कि अगर रईसी चुनाव जीते, तो ईरानियों पर कट्टरपंथी इस्लामिक पाबंदियां थोपेंगे.’ इस चुनाव में सबसे कट्टरपंथी उम्मीदवार होने की वजह से वो सबसे लोकप्रिय विकल्प बताए जा रहे हैं.

रईसी एक कट्टरपंथी नेता रहे हैं. वे 1988 में ईरान-इराक़ युद्ध के बाद बंदी बनाए गए हज़ारों राजनीतिक क़ैदियों को सामूहिक फांसी देने वाली एक समिति का हिस्सा थे.

अब्दुल नासिर हिम्मती

64 वर्षीय हिम्मती का जन्म हमदान प्रांत के कबूदर-आहंग में हुआ था. उन्हें निजी बीमा क्षेत्र का पिता कहा जाता है. वे कॉमर्स में पीएचडी हैं और तेहरान यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर भी हैं.

अब्दुल नासिर हिम्मती साल 2018 से ईरान के रिजर्व बैंक के गवर्नर हैं. वह अकेले ऐसे गैर-रूढ़ीवादी नेता हैं, जिन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई है. अब्दुल नासिर हिम्मती के किसी भी राजनीतिक धड़े के साथ कोई आधिकारिक संबंध नहीं है, लेकिन वह उदारवादी और सुधारवादी मतदाताओं के लिए खुद को संभावित उम्मीदवार के रूप में स्थापित कर रहे हैं.

राष्ट्रपति हसन रूहानी के शासनकाल में वे पांच वर्षों तक सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की आर्थिक समिति के सदस्य रह चुके हैं. वे ऐसे कुछ ईरानी प्रबंधकों में से एक हैं, जिन्होंने विभिन्न सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर रहकर ज़िम्मेदारियां अदा की हैं.

मोहसिन रेजाई

रेजाई इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स(आईआरजीसी) के कमांडर रह चुके हैं.