तालिबान का हुआ अफगानिस्तान, कहा किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे

अफगानिस्तान में तालिबान का नियंत्रण स्थापित हो गया है और इसी के साथ तालिबान ने आधिकारिक रूप से युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी है. तालिबान के नियंत्रण के बाद काबुल में अफरा तफरी मची हुई है. तालिबान लड़ाकों ने सोमवार को काबुल की सड़कों पर गश्त की है. काबुल में अफगानिस्तान छोड़ने वालों की भारी तादाद एयरपोर्ट पर इकठ्ठा हो गई है. लोग तालिबान के शासन से भागने की कोशिश कर रहे हैं. लोग काबुल इसलिए छोड़ना चाह रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि तालिबान बदले की कार्रवाई करेंगे और शहर में हिंसा का दौर शुरू हो सकता है.अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह पहले ही देश छोड़ चुके हैं. 

अल जज़ीरा ने अपनी खबर में कहा है कि काबुल एयरपोर्ट में संकट की स्थिति है. हालाँकि काबुल पर क़ब्ज़ा करने के बाद अब तक किसी भी बहुत बड़े ख़ून ख़राबे की ख़बरें सामने नहीं आई है. फिलहाल ये हवाई अड्डा अमेरिकी सैनिकों के नियंत्रण में है और सोमवार सुबह वहां बढ़ती भीड़ को तितर बितर करने के लिए सैनिकों ने हवाई फ़ायरिंग की थी. तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने अल जज़ीरा को बताया कि तालिबान दुनिया के अन्य मुल्कों के साथ शांतिपूर्वक तरीके से और मिल जुल कर रहना चाहता है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में नई सरकार के प्रकार और रूप को जल्द ही स्पष्ट कर दिया जायेगा. इससे पहले तालिबान ने कहा था कि वे राजनैतिक लोगों, सरकारी कर्मचारियों, विदेशी नागरिकों और सुरक्षा कर्मियों को निशाना नहीं बनाएंगे. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बात को लेकर चिंता जताई गई है कि तालिबानी शासन आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की ज़िंदगी बद से बदतर हो जाएगी. हालाँकि बीबीसी से बातचीत में तालिबान के प्रवक्ता ने साफ़ कहा है कि महिलाओं को पढ़ाई और काम करने की इजाज़त होगी बशर्ते वे शरिया का पालन करें.

तालिबान ने अपने 1996-2001 के शासन में महिलाओं की सामाजिक समानता का बुरी तरह दमन किया था. इस दौरान महिलाओं को स्कूल जाने, काम करने, राजनीति में भाग लेने या यहां तक कि उनके घर छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्हें बुर्के में रहना पड़ता था और घर से बाहर निकलने के लिए पुरुष सदस्य का साथ रहना आवश्यक था.

दुनिया भर से तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जेके बाद प्रतिक्रिया आ रही है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अफगानिस्तान के लोगों ने गुलामी की बेड़ियां तोड़ी हैं. पाकिस्तान शुरू से ही अफगानिस्तान में तालिबान का समर्थन करता आया है. उधर चीन ने भी तालिबान के साथ दोस्ताना संबंध की बात कही है. ईरान का कहना है कि अमेरिका की हार से स्थायी शांति की उम्मीद जगी है. अफगानिस्तान में तालिबान का राज आने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने अपने दूतावासों को ही बंद कर दिया है और राजनयिकों को वापस निकाल रहे हैं.