तीसरी बार कनाडा के प्रधानमंत्री बने जस्टिन ट्रूडो

कनाडा में हुए मध्यावधि आम चुनावों में एक बार फिर से प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो विजयी हुए हैं, हालाँकि उन्हें बहुमत इस बार भी नहीं मिला है. 20 सितम्बर को हुए आम चुनावों में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 338 सदस्यों की संसद में 158 सीटें मिली हैं, जबकि बहुमत के लिए 170 सीटों की आवश्यकता होती है. कनाडा के सम्विधान के अनुसार ट्रूडो अल्पमत वाली सरकार बना सकते हैं लेकिन किसी भी विधेयक को पारित करने के लिए उन्हें विपक्ष के समर्थन की ज़रूरत पड़ेगी.

इससे पहले कनाडा में 2019 में आम चुनाव हुए थे. इन चुनावों में भी ट्रूडो की लिबरल पार्टी सबसे अधिक सीटें जीती थी लेकिन तब भी बहुमत नहीं प्राप्त कर सकी थी. ऐसे में अल्पमत की सरकार की चुनौतियों को ख़त्म करने के लिए ट्रूडो ने आम चुनावों की घोषणा की थी. ट्रूडो का आकलन था कि कोविड से निबटने के लिए किए गए कार्यों से खुश होकर जनता उन्हें बहुमत दे सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालाँकि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में ट्रूडो सरकार कोविड से बेहतर तरीक़ों से निबटी है. कनाडा अब दुनिया के सबसे ज्यादा टीकाकरण वाले देशों में से एक है.

समय से पहले चुनाव कराकर अपनी लोकप्रियता भुनाने की ट्रूडो की कोशिश हालांकि पूरी तरह सफल नहीं हो पाई. विपक्ष ने ट्रूडो पर आरोप लगाया कि वे अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए ये चुनाव करवा रहे हैं. विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि जब सारा देश कोरोना महामारी से हुए आर्थिक नुक़सानों से लड़ रहा है, ट्रूडो ने बेवजह चुनावी खर्च करवाकर अर्थव्यवस्था को और कमजोर किया है. एक आकलन के मुताबिक़ इस चुनाव में लगभग 610 मिलियन डालर का खर्च हुआ है. हालाँकि ट्रूडो ने विपक्षी कंज़रवेटिव पार्टी पर आरोप लगाया कि कोविड से लड़ने की उनकी नीति “अवैज्ञानिक” है. उन्होंने तर्क दिया कि कंजर्वेटिव्स का दृष्टिकोण लॉकडाउन और वैक्सीन के बारे में संदेहपूर्ण रहा है. जो देश हित में नहीं है. उन्होंने कहा था कि कनाडा के लोगों को ऐसी सरकार चाहिए जो विज्ञान पर भरोसा करती हो.

जस्टिन ट्रूडो 49 साल के हैं और वह कई मुद्दों पर काफी बेबाकी से अपनी राय रखते हैं. उन्होने 2015 में अपने पिता एवं दिवंगत प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो की लोकप्रियता का लाभ उठाते हुए चुनाव जीता था. लेकिन उनसे अत्यधिक अपेक्षाओं, घोटालों और वैश्विक महामारी के बीच चुनाव कराने के पिछले महीने लिए गए फैसले से ट्रूडो की छवि को नुकसान भी पहुंचा.

जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो चार बार कनाडा के पीएम रहे हैं. पिता ने ये करके कनाडा में एक रिकॉर्ड बना लिया था. वे कनाडा के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक रहे हैं. उन्हें कनाडा में सामाजिक न्याय का एक बड़ा चेहरा माना जाता है. अब उनके पुत्र जस्टिन तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.