श्रीलंका में आर्थिक संकट गहराया, क्या है वजह

श्रीलंका की आर्थिक स्थिति और ख़राब होती जा रही है. श्रीलंका 70 से अधिक सालो में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है. अकेले मार्च महीने में खाद्य कीमतों में रिकॉर्ड 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. श्रीलंका में राष्ट्रीय मुद्रा की कीमत में तेजी से गिरावट आ रही है और देश 51 अरब डॉलर के कर्ज में डूब गया है.

श्रीलंका की आर्थिक बदहाली की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट है. श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में 70 फीसदी की गिरावट आई है. फिलहाल श्रीलंका के पास 2.31 अरब डॉलर बचे हैं. विदेशी मुद्रा के रूप में सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही श्रीलंका के पास हैं. श्रीलंका कच्चे तेल और अन्य चीजों के आयात पर एक साल में खर्च 91 हजार करोड़ श्रीलंकाई रुपये खर्च करता है. खर्च 91 हजार करोड़ रुपये का है, लेकिन श्रीलंका के पास सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही है. 

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श्रीलंका पर विदेशी क़र्ज़ बहुत अधिक है. चीन, भारत और जापान जैसे देशों के अलावा आईएमएफ (IMF) एशियन डवलैपमेंट बैंक जैसे संस्थानों का भी लोन उधार है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है. अकेले चीन का श्रीलंका के ऊपर 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है.

कई विशेषज्ञ श्रीलंका की स्थिति के लिए वर्तमान सरकार के कुप्रबंधन को ज़िम्मेदार मान रहे हैं. आर्थिक संकट की वजह से देश की राजनीति में भी काफी उथल-पुथल देखने को मिल रहा है. श्रीलंका की 2.2 करोड़ लोगों की आबादी लंबे समय तक बिजली कटने और दवा एवं ईंधन की किल्लत की वजह से काफी अधिक आक्रोश में है. आक्रोशित लोग प्रदर्शन कर रहे हैं और राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.