पेलोसी की ताइवान यात्रा से भड़का चीन, युद्ध अभ्यास शुरू किया
अमेरिकी संसद की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा ने तहलका मचा दिया है. पेलोसी की यात्रा के जवाब में, चीन ने ताइवान द्वीप के आसपास समुद्र में लाइव फायर सैन्य अभ्यास की घोषणा की है, जो गुरुवार से शुरू होगा और रविवार तक जारी रहेगा. ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि चीन की एकतरफा कार्रवाई ताइवान के बंदरगाहों और महानगरीय क्षेत्रों को खतरे में डालने की कोशिश है.
इससे पहले ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग-वेन से मुलाकात करते हुए, पेलोसी ने साहसी नेतृत्व के लिए साई की प्रशंसा की और अमेरिका और ताइवान के बीच अंतर-संसदीय संबंधों को बढ़ाने का आह्वान किया. पेलोसी ने बुधवार को कहा कि ताइवान की यात्रा पर पहुंचा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश दे रहा है कि अमेरिका स्वशासी द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटेगा. ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ मुलाकात के बाद एक संक्षिप्त बयान में उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक को चुनने की चुनौती है. ताइवान और दुनियाभर में सभी जगह लोकतंत्र की रक्षा करने को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता अडिग है.

नैंसी पेलोसी का मंगलवार रात ताइवान पहुँची थी और बुधवार को रवाना हो गईं. चीन इस यात्रा का विरोध कर रहा था और अमेरिका को लगातार धमकी भी दे रहा था. इस प्रतिनिधिमंडल में पेलोसी के अलावा अमेरिकी कांग्रेस के पाँच और सदस्य थे. इसके अलावा वो समाजिक कार्यकर्ताओं से भी मिलीं. ताइवान से प्रस्थान करने के बाद, पेलोसी सियोल में दक्षिण कोरियाई नेताओं से मिलने का कार्यक्रम है, इसके बाद वे टोक्यो में जापान के नेताओं से भी मिलेंगी.
नैन्सी पेलोसी के सम्बन्ध चीन के साथ बहुत पहले से ख़राब हैं. साल 2008 में नैन्सी पेलोसी भारत की यात्रा पर आई थीं. तब भी वे अमेरिकी संसद की हाउस स्पीकर थी. अपनी उस यात्रा के दौरान नैन्सी ने 21 मार्च 2008 को भारत में रह रहे तिब्बत के निर्वासित नेता और धर्मगुरु दलाई लामा से धर्मशाला के उनके मठ में जाकर मुलाकात की थी. इससे भी चीन ख़ासा नाराज़ हुआ था. लेकिन साल 2017 में नैन्सी पेलोसी अमेरिका की हाउस माइनॉरिटी लीडर के तौर पर भारत आई थीं. अपनी उस यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार फिर दलाई लामा से मिलकर तिब्बत के मुद्दे पर अपना समर्थन जाहिर किया था.
यहीं नहीं लगभग 31 साल पहले नैन्सी पेलोसी चीन के घर में घुसकर उसे चुनौती दे चुकी हैं. साल 1991 में जब वे एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन की यात्रा पर गई थीं तब नैन्सी अपने कुछ सहयोगियों के साथ बीजिंग के तियानानमेन चौक में गयीं थी. वहां उन्होंने हाथ में बैनर लेकर 1989 के नरसंहार में मारे गए नौजवानों को न सिर्फ श्रद्धांजलि दी, बल्कि उनकी लोकतंत्र की मांग का खुला समर्थन भी किया. उनके बैनर पर लिखा था – “To Those Who Died For Democracy In China” यानी “उन लोगों को श्रद्धांजलि जिन्होंने चीन में लोकतंत्र के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.” अपने चीन दौर की इस वीडियो क्लिप को पेलोसी ने करीब तीन साल पहले अपने ट्विटर हैंडर से शेयर भी किया था.